अब चर्चा है कि अलवर नगर निगम के कई पार्षद भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। कुछ निर्दलीय पार्षद जो अब तक कांग्रेस के साथ थे, वह भी भाजपा का रुख कर सकते हैं। नगर निगम (पूर्व में नगर परिषद) के गठन के समय भाजपा ने 65 में से 27 वार्डों पर कब्जा जमाया था। इसके बाद भी कांग्रेस की सभापति बनी। हालांकि सभापति बीना गुप्ता का एसीबी में मामला जाने से कुर्सी खाली हो गई और डीएलबी के जरिए भाजपा का कब्जा हो गया।
भाजपा के मेयर घनश्याम गुर्जर को हटाने के लिए कांग्रेस के सभी पार्षद एक साल पहले एकजुट हो गए। हालांकि इस प्रकरण के बाद कांग्रेस पार्षद अपनी ही पार्टी से नाराज दिखे। विधानसभा चुनाव में भी पार्षदों की नाराजगी का असर सीधे तौर पर अलवर शहर सीट पर दिखा। अब भाजपा की सरकार बन चुकी है और जिस तरह से कांग्रेस में भगदड़ी मची है, उससे चर्चा है कि चुनाव से पहले कई कांग्रेस पार्षद भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
पार्टी साथ लेकर नहीं चल रही… बदल सकता है मन
कुछ पार्षदों का कहना है कि पार्टी के नेता अभी भी उन्हें साथ लेकर नहीं चल रहे हैं, जबकि भाजपा सम्मान देने की बात कह रही है। ऐसे में कुछ पार्षदों का मन कभी भी बदल सकता। वह भाजपा के हो सकते हैं। वहीं, निर्दलीय पार्षद भी इसकी तैयारी में हैं। गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस की पूर्व सभापति बीना गुप्ता ने भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव का स्वागत भी किया था।