
अलवर. शिक्षा विभाग की उदासीनता एवं गुरु की लापरवाही कहीं नौनिहालों के जीवन में संकट न खडा कर दे। गौरतलब है कि निजी एवं सरकारी विद्यालयों में विभाग एवं सरकार की ओर से आग लगने की स्थिति में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र लगाने की अनिवार्य है। लेकिन अधिकतर विद्यालयों में यंत्र ही उपलब्ध नहीं है। और जिन विद्यालय में यंत्र है वह काम नहीं करते है। ऐसे में शिक्षक व बच्चों के जीवन को संकट में डाल कर बड़े हादसे को न्यौता दे रहे है। प्रशासन की ओर से मान्यता की फाइल के साथ एक हल्फनामा में लिया जाता है। परन्तु विद्यालय मान्यता के वक्त हलफनामा देकर खानापूर्ति कर लेते है।
सरकारी विद्यालय में गैस नहीं होने के कारण ये यंत्र स्कूलों में शो पीस बन दीवार की शोभा बढा रहे है या फिर स्टोर रूम में धूल फांक रहे है। अभी हाल ही में रामगढ क्षेत्र के खोयडा करमाली के सरकारी विद्यालय में बच्चों का पोषाहार बनाते समय रसोई घर में आग लग गई, जिसे यंत्र के अभाव में नहीं बुझाया जा सका। हालांकि बाद गैस एजेन्सी संचालक ने आग पर काबू पाने में सहयोग किया।
महंगी गैस के कारण नहीं भराते सिलेण्डर
अगिनशमन यंत्र में रिफील होने वाली गैस मंहगी होने के कारण सिलेण्डरों में गैस नहीं भराते जाती है। एक बार पांच किलो सिलेण्डर को रिफील कराने में 800 से 900 रुपए का खर्चा आता है।
इनका कहना है-
सरकारी विद्यालयों को निर्देश जारी किए जाते है। कि अगिनशमन यंत्र को ठीक रखे और गैस को समय पर रिफील करावे। अगर विद्यालयों में यंत्र की स्थिति खराब है, तो जांच कराई जाएगी और उन्हें नोटिस दिए जाएगें।
योगेश वशिष्ट, बीईईओ रामगढ।
विद्यालयों के निरक्षण के समय विद्यालयों को निर्देश दिए जाते है। कि वो अगिनशमन यंत्र को दुरूस्त कराए और समय-समय पर रिफिल कराए। जिससे आग लगने पर काम में लिया जा सके।
अरूणेश कुमार सिंन्हा, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक प्रथम।
Published on:
12 Dec 2017 02:15 pm
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