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अलवर

अलवर में मूंगफली की ऐसी बहार, हर कदम पर दुकानदार

अलवर. अलवर शहर में व्यस्तम मार्ग और चौराहे के साथ ही शहर से बाहर जाने वाली सड़कों पर कदम-कदम पर मूंगफली सेंक कर बेचते हुए लोग मिल जाएंगे। सड़क पर बोरी बिछाकर तो कहीं अस्थाई दुकान बनाकर मूंगफली बेच रहे हैं। शहर ये पिछले चार वर्षों से ज्यादा दिखने लगे हैं जिनकी संख्या प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है।

अलवरNov 18, 2019 / 10:12 pm

Subhash Raj

अलवर में मूंगफली की ऐसी बहार, हर कदम पर दुकानदार

अलवर में मूंगफली की ऐसी बहार, हर कदम पर दुकानदार

अलवर शहर में भगत सिंह चौराहे से हसन खां मेवात नगर के कुछ किलोमीटर के सड़क मार्ग पर 28 मूंगफली विक्रेता दुकान सजाकर बैठे हैं। भगत सिंह चौराहे से आगे बढ़ते ही प्राइवेट स्कूल के सामने पटरी से नीचे सड़क पर मूंगफली बेचने वालों के साथ ही यहां से कुछ मीटर की दूरी पर ही जेल के आगे दो मूंगफली बेचते हुए लोग मिल जाएंगे। यहां पहले से ही पुरानी कार बेचने वाले, फूल बेचने वालों ने कब्जा कर रखा है। इसी सड़क पर अब मूंगफली वाले भी आ गए हैं। जेल के गेट के समीप तो एक बड़े चूल्हे पर महिला मूंगफली सेंकती और दूसरी महिला बेचती है।
अलवर शहर के समीप सभी हाइवे मार्ग पर तथा शहर के व्यस्तम सड़क मार्गों पर सड़क किनारे लोग मूंगफली बेचते हुए मिल जाएंगे। अलवर शहर में इस तरह की सड़क पर थड़ी लगाकर मूंगफली बेचने वालों की संख्या करीब 150 से अधिक है। ये सभी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से आए हैं। इनमें अधिक संख्या उत्तर प्रदेश के बिजनौर, अमरोह, मुरादाबाद, आजमगढ़, संभल, बलिया, बरेली और बहराइच जिले के लोगों की है।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के निवासी सबाब काली मोरी रेलवे फाटक के समीप मूंगफली बेच रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम सर्दियों में मूंगफली बेचते हैं और फिर वापस अपने गांव चले जाते हैं। यहां हमारे गांव के कुछ लोग ज्यूस बेचते हैं। हम अलवर से ही मूंगफली खरीदते हैं और यहीं बेच देते हैं। इस बार कच्ची मूंगफली 50 से 60 रुपए प्रति किलो मिल रही है जिसे हम 80 से 100 रुपए प्रति किलो बेचते हैं। मैं प्रति दिन एक तो कभी डेढ़ बोरी बेच लेता हूं। अलवर शहर में 50 भड़भूंजे हैं जिनका मुख्य काम चने और मूंगफली सेंकना है। इनके परिवार मालाखेड़ा बाजार में यह कार्य करते थे। यहां मूंगफली की दुकानें लगती थी, जहां मूंगफली खरीदने पूरे शहर से लोग आते थे। इन परिवारों में गोपाल, गिर्राज सहित कई परिवारों का यही काम था। ऐसे कई परिवारों ने अपना काम ही बदल लिया है। ऐसे ही एक भड़भूंजा परिवार के दीपक ने बताया कि अब तो मूंगफली सेंकने का काम ही खत्म हो गया है। बाहर से आने वाले लोग कच्ची मूंगफली सेंक कर सड़क पर ही बेच रहे हैं जिसके कारण हमारा काम ही खत्म हो गया है। शहर में सड़कों के किनारे तो कहीं सड़क पर सटकर मूंगफली की दुकान मिल जाएंगी। इनसे सड़क पर वाहन दुर्घटना होने का भय रहता है। वहीं चौपहिया वाहन सड़क किनारे खड़े करने की जगह ही नहीं मिल रही है। प्रशासन को इनसे होने वाले अतिक्रमण की परवाह तक नहीं है।
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