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अपने अलवर का आइडिया राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू किया, लेकिन अलवर में ही नहीं हो रही पालना

locationअलवरPublished: Jan 14, 2019 09:42:09 am

Submitted by:

Hiren Joshi

अलवर के तत्कालिन कलक्टर राजन विशाल ने का आइडिआ पूरे प्रदेश में लागू होगा। लेकिन अलवर में ही पालना नहीं हो रही।

Problem Of Unclaimed Animals In Alwar

अपने अलवर का आइडिया राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू किया, लेकिन अलवर में ही नहीं हो रही पालना

अलवर. जिस आइडिया को नजीर मान सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू किया, खुद अलवर उसे अपनाने में अब तक पीछे रहा है, तभी तो जिला मुख्यालय अलवर ही नहीं कस्बों और गांवों में गोवंश लावारिस घूमता दिखाई पड़ता है।
अलवर में पूर्व में पदस्थापित रहे जिला कलक्टर राजन विशाल ने सडक़ों पर आवारा घूमने वाले पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए काऊ अडोप्ट (गायों को गोद लेने) का आइडिया दिया था। लावारिस पशुओं के निवारण के लिए योजना तो अच्छी थी, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव यह आइडिया अलवर जिले में ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाई। इस आइडिया को पूरी तरह नहीं अपनाने का दुष्परिणाम यह रहा कि वर्तमान में अलवर जिला मुख्यालय ही नहीं, बल्कि पूरा जिला लावारिस पशुओं की समस्या से जूझ रहा है। हद तो तब हो गई जब गत वर्ष एक दर्जन से ज्यादा शहरवासी लावारिस पशुओं की टक्कर से घायल हो गए। जिले में एकाध संस्था व गोशाला ने इस योजना को लागू किया है। खास बात यह कि जिला पशु क्रूरता निवारण समिति के अध्यक्ष (जिला कलक्टर) के इस आइडिया की ओर खुद प्रशासन व संबंधित विभागों का ध्यान ही नहीं जा पाया।
जहां देखो वहां लावारिस पशुओं का झुण्ड

वर्तमान में अलवर शहर में लावारिस पशुओं के झुण्ड सब्जी मंडी, घंटाघर, होपसर्कस, काशीराम चौराहा ही नहीं बल्कि हर मार्ग, गली में लावारिस पशुओं का झुण्ड रास्ता रोके दिख जाता है। इन लावारिस पशुओं में भी ज्यादा गोवंश ही दिखाई पड़ता है। इसी समस्या के निराकरण के लिए गायों को गोद देने का आइडिया दिया था।
यह था काऊ अडोप्ट आइडिया

तत्कालीन जिला कलक्टर ने निराश्रित गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए जिला पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक में काऊ अडोप्ट (गाय गोद लेने) की योजना को लागू करने पर जोर दिया था। इस आइडिया के पीछे भावना यह थी कि गोवंश को पूजनीय मानते हैं और उसे भूखा सडक़ों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं। यदि शहर के लोग एक-एक गाय को गोद ले और संरक्षण स्वयं या गोशाला के माध्यम से करें तो लाभार्थी को इसका पुण्य भी मिल सकेगा और शहर में लावारिस पशुओं की समस्या से निजात भी मिल सकेगी। काऊ अडोप्ट योजना के लिए लाभार्थी को एक आवेदन भरकर देने का प्रावधान है। योजना में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति के अध्यक्ष जिला कलक्टर, आयुक्त नगर परिषद एवं संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग एवं समिति सचिव शामिल हैं।
यह भी था योजना में शामिल

विभिन्न त्योहारों, जन्म दिन, शादी समारोह, विवाह वर्षगांठ, पुण्य तिथि, मांगलिक व धार्मिक आयोजन, सामाजिक व पारिवारिक अवसर पर सामथ्र्य अनुसार गाय गोद लेकर एवं पूर्व में गोद ली हुई गायों के साथ मिलकर सवामणी पर्व मनाना शामिल था।
सभी जिला कलक्टरों को परिपत्र भेजा

अब निदेशालय गोपालन के निदेशक ने पिछले दिनों सभी जिला कलक्टरों को परिपत्र भेजकर अलवर से निकले आइडिया के अनुसार भामाशाहों, दानदाताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, समाज सेवियों एवं गोभक्तों को गोशालाओं की गाय गोद लेने के लिए प्रेरित करने को कहा है।
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