रामगढ़ विधानसभा सीट पर हो रहे विधानसभा चुनाव के परिणाम का असर दोतरफा हो सकता है। कांग्रेस के हाथ में सीट आने से पार्टी का प्रदेश में स्पष्ट बहुमत रहेगा। सीट नहीं आने से प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से एक सीट पीछे रह जाएगी। यही नहीं इस सीट का चुनाव परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव प्रचार में नेताओं की जुबां पर रहने वाला है। यहां कांग्रेस को हार मिली तो भाजपा के पास इस बात को प्रदेश भर में उठाएगी कि इतनी जल्दी जनता ने कांग्रेस सरकार को जवाब दे दिया। सीट हाथ में रही तो कांग्रेसी इस बात को और अधिक दमदारी से कहेंगे कि प्रदेश की जनता का बदलाव का मन बना हुआ है। जो विधानसभा के चुनाव परिणाम बता रहे हैं।
बहुमत को चाहिए 101 सीट प्रदेश की 200 सीट वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 101 सीट जरूरी होती हैं। शुरूआत में 199 सीटों पर चुनाव हुआ है। जिसमें कांग्रेस व समर्थित पार्टी को 100 सीट मिली हैं। भरतपुर से एक सीट आरएलडी के खाते में है। अब 101 सीट तक पहुंचने के लिए कांग्रेस को रामगढ़ में जीत चाहिए। यहां कांग्रेस हारती है तो बहुमत से एक सीट पीछे रह जाएगी। जिससे सरकार पर आंतरिक रूप से दबाव भी बढ़ जाएगा। हालांकि अभी तक राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बसपा ने समर्थन दे रखा है। अकेले अलवर से बसपा के दो विधायक हैं। प्रदेश में छह सीटों पर बसपा जीती है।