प्रदेश में रामगढ़ को छोड़ शेष विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव सम्पन्न होने के साथ ही राज्य में नई सरकार के गठन का कार्य भी पूरा हो चुका है। फिलहाल प्रदेश में सरकार गठन को लेकर किसी भी दल को कोई संकट भी नहीं है, ऐसे में रामगढ़ विधानसभा चुनाव के परिणाम सूबे की राजनीति में ज्यादा उथल-पुथल करने वाले साबित तो नहीं होंगे, लेकिन इस चुनाव के परिणाम का प्रदेश की राजनीति पर दूरगामी असर पडऩा जरूर तय है।
यह असर होगा प्रदेश की राजनीति पर प्रदेश में वर्तमान में मुख्यत: तीन राजनीतिक दल इन दिनों चर्चा में हैं। इनमें कांग्रेस, भाजपा व बसपा शामिल है। रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में भी तीनों ही दल मजबूती से ताल ठोक रहे हैं। रामगढ़ सीट जीत कर कांंग्रेस विधानसभा में स्पष्ट बहुमत के नजदीक पहुंचना चाहेगी। वहीं भाजपा की चाहत इस चुनाव परिणाम के जरिये लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में फिर से अपना दबदबा साबित करने की रहेगी। यह चुनाव बसपा के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसका कारण है कि गत विधानसभा चुनाव में पार्टी ने प्रदेश में 6 सीटें जीतकर दमदार मौजूदगी दिखाई है। पार्टी रामगढ़ सीट पर कब्जा कर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण में बदलाव का संकेत दे सकती है।
लोकसभा चुनाव पर असर तय रामगढ़ चुनाव के परिणाम का आगामी लोकसभा चुनाव पर असर तय माना जा रहा है। रामगढ़ सीट अलवर लोकसभा क्षेत्र में शामिल है। वर्तमान में अलवर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस, भाजपा व बसपा के पास फिलहाल दो-दो सीटें हैं। इस सीट का परिणाम जिस भी दल के पक्ष में जाएगा, उसका लोकसभा क्षेत्र में दबदबा बढऩा तय है। ऐसे में हर दल यह सीट जीतकर लोकसभा चुनाव से पहले अपने पक्ष में माहौल करने के प्रयास में जुटा है। सबसे ज्यादा उत्सुकता बसपा में है। पार्टी नेताओं का मानना है कि बसपा की जीत से अलवर लोकसभा क्षेत्र में पार्टी का दबदबा बढ़ेगा, वहीं गठबंधन की संभावना बनने उसका दावा अन्य दलों से ज्यादा मजबूत रहेगा। वहीं अकेले चुनाव लडकऱ अन्य प्रमुख दलों के समीकरण को गड़बड़ा सकेगी।