
आरबीआई ने इस बैंक का लाइसेंस किया निरस्त, चिंता में पड़े हजारों लोग
अलवर. अलवर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस निरस्त हो गया। आरबीआई ने 32 साल पुराने इस बैंक के लाइसेंस को निरस्त कर दिया। नोटबंदी के समय इसी बैंक के डायरेक्टर व अन्य लोगों को 1 करोड़ 32 लाख रुपए ले जाते पकड़ा गया। रिजर्व बैंक ने इस संबंध में बैंक व सहकारिता विभाग को इसकी सूचना दे दी है। सूचना मिलने के बाद ही बैंक के सीईओ लोकेन्द्र पाल ने कलेक्टर से कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहयोग मांगा है।
पुलिस ने नोटबंदी के दौरान 19 नवंबर 2016 को बैंक के एक करोड़ 32 लाख रुपए जब्त किए थे। इस कार्रवाई के बाद कई खुलासे हुए और 1 करोड़ 32 लाख की गबन की राशि 16 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। गबन के बाद बैंक की कमर टूट चुकी थी। बैंक आरबीआई की ओर से तय किए गए नियमों को पूरा नहीं कर पा रही थी। अब भारतीय रिजर्व बैंक ने अलवर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस निरिस्त कर दिया।
नोटबंदी से बैंक को हुआ नुकसान
8 नवंबर को केन्द्र सरकार की ओर से देशभर में की गई नोटबंदी से बैंक को नुकसान हुआ। लोगों का कहना था कि नोटबंदी की वजह से ही इस बैंक के बुरे दिन आए। अगर नोटबंदी नहीं होती तो पैसों को बदलने का खेल नहीं होता और काम चलता रहता।
यह था मामला
नोटबंदी के बाद नोट बदलवाने की चल रही भागदौड़ के बीच पुलिस ने किशनगढ़ में मेगा हाइवे स्थित चैक पोस्ट पर 19 नवंबर 2016 की रात अलवर को ऑवरेटिव बैंक के डायरेक्टर अशोक जोशी सहित 12 जनों से 1 करोड़ 32 लाख 43 हजार रुपए बरामद किए।
9 दिन में कर दिया 9 करोड़ का गबन
जांच में यह खुलासा हुआ कि अशोक जोशी ने 31 मई 2016 को बोर्ड बनाया और इसका चेयरमैन मृदुल जोशी को बनाया। एक ही परिवार के इन लोगों ने 16 जून से काम शुरु कर दिया और 22 जून 2016 तक 92 अलग-अलग खातों को लोन दे दिया।
Published on:
06 Jul 2018 01:03 pm
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