रणथंभौर से गत 15 अप्रेल को बाघ सरिस्का आया था, तभी से वह एनक्लोजर में था। करीब एक सप्ताह तक एनक्लोजर में रखने के बाद बाघ को आजाद कर दिया गया। रविवार देर शाम को एनक्लोजर का दरवाजा खोल दिया, लेकिन वह सुबह पौने चार बजे एनक्लोजर से बाहर निकला। बाद में बाघ टहलता हुआ क्रास्का के जंगल में पहुंच गया।
तलाशना होगा इलाका सरिस्का में नया होने के कारण बाघ को अपना इलाका (टैरिटरी) तलाशनी होगी। फिलहाल बाघ क्रास्का का जंगल में घूम रहा है, यदि यह जंगल रास आया तो बाघ इस क्षेत्र में भी अपनी टैरिटरी बना सकता है। क्रास्का जंगल से कुछ दूरी पर ही दो बाघिन भी हैं। इनमें बाघिन एसटी-7 व 8 शामिल है। बाघ से इन बाघिनों की दूरी ज्यादा नहीं है। इस कारण बाघ व बाघिन जल्द ही पास आने की संभावना है।
बाघ एसटी-6 को रहेगा खतरा रणथंभौर से नया बाघ आने से सरिस्का में बाघ-बाघिन संतुलन तो सुधरा है, लेकिन नया बाघ आने से सरिस्का के बाघ एसटी-6 को खतरा होने का अंदेशा है। इसका कारण है कि बाघ एसटी-6 की उम्र 14 साल से ज्यादा होने के कारण उम्रदराज व कमजोर हो चुका है। वहीं पिछले महीनों बाघ एसटी-4 से संघर्ष के बाद गंभीर रूप से घायल भी हो चुका है। जबकि नया बाघ करीब पौने सात साल का युवा पूर्ण स्वस्थ बाघ है। इस कारण दोनों में टैरिटरी को लेकर संघर्ष की स्थिति में बाघ एसटी-6 के लिए समस्याएं बढ़ सकती है। हालांकि अभी नए बाघ व एसटी-6 के बीच काफी दूरी है। पिछले कुछ दिनों से बाघ एसटी-6 एनक्लोजर के पास ही घूम रहा था, इस कारण भी नए बाघ को एनक्लोजर से बाहर करने में देरी करनी पड़ी।
मॉनिटरिंग की दोहरी व्यवस्था नए बाघ को एनक्लोजर से आजाद करने के बाद सरिस्का प्रशासन ने दोहरी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है। इनमें पहली व्यवस्था 24 घंटे और सात दिन निरंतर रहेगी। यह टीम दिन व रात बाघ की निरंतर मॉनिटरिंग करेगी। वहीं दूसरी व्यवस्था रेंज अधिकारी बायोलोजिस्ट के साथ मिलकर मॉनिटरिंग करेंगे। इसके अलावा उच्च अधिकारी भी नए बाघ की मॉनिटरिंग की समीक्षा करेंगे।
बाघ को एनक्लोजर से बाहर किया रणथंभौर से आए बाघ को एनक्लोजर से बाहर कर दिया गया है। सोमवार सुबह बाघ जंगल में चला गया। बाघ पूरी तरह स्वस्थ है। बाघ की मॉनिटरिंग की विशेष व्यवस्था की गई है।
घनश्याम प्रसाद शर्मा
सीसीएफ, सरिस्का बाघ परियोजना अलवर