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सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का अलवर में भी आश्रम, कोरोना काल में यहां रुके थे

हाथरस के सूरजपाल उर्फ ‘भोले बाबा’ का अलवर से भी गहरा नाता है। जिले के कठूमर के समीप सहजपुरा गांव में करीब डेढ़ बीघा में उनका आश्रम बना हुआ है। कोरोना के दौरान साल 2020 में यहां उनका आना हुआ था। करीब एक साल से अधिक समय तक वे यहीं रुके थे। लोगों से उनकी […]

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गांव में बाबा का आश्रम

हाथरस के सूरजपाल उर्फ 'भोले बाबा' का अलवर से भी गहरा नाता है। जिले के कठूमर के समीप सहजपुरा गांव में करीब डेढ़ बीघा में उनका आश्रम बना हुआ है। कोरोना के दौरान साल 2020 में यहां उनका आना हुआ था। करीब एक साल से अधिक समय तक वे यहीं रुके थे। लोगों से उनकी बातचीत होती थी, उनके प्रवचन सुनने भीड़ उमड़ती थी।

साथ चलता था काफिला

स्थानीय निवासी दीपक यादव ने बताया कि बाबा जब यहां आते थे तो उनके साथ सुरक्षा गार्ड पिंक कलर की ड्रेस पहने हुए रहते थे। उनका काफिला बहुत लंबा था। आगे और पीछे करीब एक दर्जन से ज्यादा गाड़ियां रहती थी। इसमें मोटरसाइकिल व फोर व्हीलर शामिल थे। इस दौरान चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा गार्ड तैनात रहते थे।

आज उनके कमरे को बंद किया हुआ है और एक कर्मचारी यहां लगा हुआ है। हर मंगलवार को बाबा का दरबार लगता है। जिनमें शारीरिक व मानसिक परेशानी से पीड़ित लोग आते हैं। बाबा के अनुयायी अलवर में भी बाबा का कार्यक्रम करवाना चाहते थे। इसके लिए लगातार उनसे समय मांगा जा रहा था, लेकिन बाबा समय नहीं दे पा रहे थे। इसके चलते यहां अभी तक बड़ा कार्यक्रम नहीं हो पाया।

खेरली से हाथरस गए थे श्रद्धालु

हाथरस में होने वाले प्रवचन में भी खेरली से दो बसें भरकर गई थी। इसमें ज्यादातर महिला श्रद्धालु शामिल थीं। खेरली निवासी आदित्येंद्र ने बताया कि के प्रवचन कार्यक्रम में शामिल होने गई महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि प्रवचन के बाद आरती होने लगी।

पांडाल के पीछे मोटर साइकिल लगी हुई थी। एक महिला को चक्कर आने लगे और वह गिर गई। इसके साथ ही लोग एक दूसरे पर गिरते चले। तब उन्होंने कहा कि मानवता का ध्यान रखते हुए एक दूसरे को निकाला। यह कहकर वह निकल गए। हमें भी यहां खडे भाईयों ने निकाल दिया।