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स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन की ‘स्मोक एंट्री’, आपकी खुशियों को कर सकती हैं धुआं-धुआं

शादी समारोह में भव्यता या दिखावा तेजी से बढ़ रहा है। दूल्हा-दुल्हन की स्टेज पर जैसे ही एंट्री होती है तो धुएं से स्वागत होता है। यह खतरनाक है और आपकी खुशियां धुआं-धुआं कर सकता है।

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शादी समारोह में भव्यता या दिखावा तेजी से बढ़ रहा है। दूल्हा-दुल्हन की स्टेज पर जैसे ही एंट्री होती है तो धुएं से स्वागत होता है। यह खतरनाक है और आपकी खुशियां धुआं-धुआं कर सकता है। नाइट्रोजन का प्रयोग धुएं से एंट्री के लिए किया जा रहा है, जो संपर्क में आने पर फेफड़ों से लेकर नसें तक जमा देता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि यह भव्यता का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जिस पर समाज को रोक लगाने की जरूरत है।

भोपाल की वाहिनी का इस तरह घुटा दम

भोपाल के खुजनेर में एक शादी थी। लड़की वाले बाढ़ गांव के थे। वहीं सात साल की वाहिनी 6 मई को परिजनों के साथ शादी में आई थी। दूल्हा-दुल्हन की स्टेज पर एंट्री के लिए नाइट्रोजन का कंटेनर लाया गया था। इसमें पानी डालते ही यह धुआं छोड़ता है। दूल्हा-दुल्हन की एंट्री से पहले बच्ची वाहिनी कंटेनर में गिर गई।

कुछ देर बाद उसे निकाला गया। डॉक्टरों को दिखाया। इंदौर ले गए, लेकिन उसके फेफड़े व नसें सिकुड़ गई थीं। वह नहीं बच पाई। इस घटना ने समूचे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा और सोचने पर मजबूर कर दिया। इससे पहले भी नाइट्रोजन से गुरुग्राम व रायपुर में ऐसे हादसे हो चुके हैं।

ये होता है असर

माइनस 5 डिग्री तापमान पहुंच जाता है। फेफड़े और नसें सिकुड़ जाती हैं।
नाइट्रोजन से सांस लेने में दिक्कत होती है। दम घुटता है।
बेहोशी के अलावा त्वचा, आंखों में जलन।
यह बहुत ठंडा होता है। ऐसे में त्वचा और आंखों के ऊतक भी जल जाते हैं।

नाइट्रोजन सस्ती, ड्राई आइस है महंगी

अलवर में भी मई से जून तक 4 हजार से ज्यादा शादियां हैं। इसमें 80 फीसदी शादियों में दूल्हा-दुल्हन की स्टेज पर एंट्री के लिए नाइट्रोजन कंटेनर का प्रयोग धुएं के लिए किया जाएगा। ऐसे में सावधानी बेहद जरूरी है। सर्दियों की शादियों में भी यह चलन बढ़ा है। यह कहा जा सकता है कि अधिकांश शादियों में ही नाइट्रोजन का प्रयोग हो रहा है।

100 से 120 रुपए प्रति किलो

क्योंकि नाइट्रोजन की बाजार में कीमत 100 से 120 रुपए प्रति किलो है। वही ड्राई आइस की कीमत 250 रुपए प्रति किला है। ऐसे में ड्राइ आइस की जगह लोग नाइट्रोजन कंटेनर का प्रयोग कर रहे हैं, जो घातक है। शादी की बुकिंग करने मैरिज हॉल जाते हैं, तो वही वीडियो दिखाकर ग्राहकों को आकर्षित करते हैं, वहीं पर परिवार के लोगों को उसके दूसरे पहलू नुकसान को भी देखना होगा।

दिखावे से बाहर आए समाज

प्रथाओं का आधुनिकीकरण तेजी से हुआ है। इसकी चकाचौंध में लोग वास्तविकता को नहीं समझते और दिखावे में आ जाते हैं। आधुनिकीकरण गलत नहीं है, लेकिन उसे पहले समझा जाए। फायदे-नुकसान देखे जाएं। शादियों में नाइट्रोजन के धुएं पर रोक लगाने की आवश्यकता है। खुशियों के कुछ पल के लिए उड़ने वाला यही धुआं जानलेवा साबित हो सकता है। यही नहीं, शादियों में स्टेज पर जयमाला का चलन भी गलत हो गया है। कई बार स्टेज टूटने से हादसे हुए हैं। -जयराम बैरवा, समाजशास्त्र विभाग अध्यक्ष, कला कॉलेज अलवर