
अलवर।
सरिस्का बाघ परियोजना स्थित इंदौक गांव के डेरा में सोमवार देर रात करीब 9.30 बजे एक बाघ एसटी-11 का शव मिला। बाघ की मौत खेतों में लगे तारों में उलझकर दम घुटने से होना बताया जा रहा है। बाद में मौके पर राडी गांव निवासी भगवान सहाय प्रजापत ने वनकर्मियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पूछताछ देर रात तक जारी रही। बाघ एसटी-11 की उम्र करीब सवा चार साल है।
सरिस्का बाघ परियोजना के सीसीएफ डॉ. गोविंद सागर भारद्वाज ने बताया कि रात करीब 9.30 बजे सूचना मिली कि इंदौक गांव के पास एक बाघ का शव पड़ा है। इस पर तुरंत मौके पर पहुंचकर बाघ के शव को कब्जे में लिया। कारणों की तलाश करने पर पता चला कि इंदौक गांव में आरोपित भगवान सहाय प्रजापत पुत्र हनुमान सहाय प्रजापत ने नील गायों व अन्य वन्यजीवों के नुकसान से बचाव के लिए खेत पर ब्रेक वायर जैसा तार लगा रखा था।
बाघ एसटी-11 इसी क्षेत्र में था और वह तारों में उलझ गया। बाघ के गले में तार उलझते ही वह जंगल की ओर बचने के लिए भागा, इससे तार का फंदा कसता ही चला गया और तार बांघने के लिए लगाई खूंटी गले में उलझने से उसका दम घुट गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
बाघ का शव आरोपित के खेत से काफी दूरी पर पड़ा मिला। बाघ की मौत से सकपकाए भगवान सहाय ने वनकर्मियों को घटना की सूचना दी। बाद में सरिस्का की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और बाघ के शव को कब्जे में लिया।
बाघिन एसटी-5 व बाघ एसटी-11 का रहा लंबा साथ
सरिस्का में इन दिनों बाघों के कुनबे पर खतरा मंडराया हुआ है। बाघिन एसटी-5 गत करीब एक महीने से लापता है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी सोमवार को सरिस्का के सिस्टम की समीक्षा करने सरिस्का पहुंचे। बाघिन एसटी-5 का तो पता नहीं चल सका, लेकिन रात करीब 10 बजे बाघ की मौत का दुखद सूचना मिली।
खास बात यह है कि बाघिन एसटी-5 और बाघ एसटी-11 पिछले काफी समय से साथ-साथ घूम रहे थे। जहां एक ओर बाघिन एसटी-5 का पता तो नहीं चल पाया लेकिन बाघ एसटी-11 की तार में उलझकर दम घुटने से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि बाघ एसटी-11 भी कुछ दिनों से नहीं मिल पा रहा था।
सरिस्का का पहला शावक था बाघ एसटी-11
बाघ एसटी-11 सरिस्का बाघ परियोजना का पहला शावक था। इसका जन्म रणथंभौर से लाई गई बाघिन एसटी-2 से करीब चार-सवा चार पहले सरिस्का में हुआ। पिछले दिनों सरिस्का में बाघों का कुनबा 14 था, जो अब घटकर 13 रह गया है।
वहीं बाघिन एसटी-5 के नहीं मिल पाने से इसमें और भी कमी होने की आशंका है। शिकार की भी आशंका कुछ दिन पूर्व ही इंदौक क्षेत्र में सांभर का शिकार हुआ था। बाद में शिकार के आरोपित पकड़े भी गए। अब बाघ एसटी-11 का शव भी इंदौक क्षेत्र में मिला है। इस कारण कुछ लोग बाघ के शिकार की आशंका भी जता रहे हैं।
ग्रामीण नील गाय से फसल को बचाने के लिए बाइक के क्लिच व ब्रेक वायर का फंदा बनाकर लगाते हैं, इसमें कई बार बाघ व अन्य वन्यजीवों की फंसने से मौत हो जाती है। हालांकि सीसीएफ भारद्वाज ने बताया कि बाघ के गले में फंदे जैसी कोई चीज नहीं मिली है। अभी आरोपित ने पूछताछ में तार में उलझ दम घुटने से बाघ की मौत होना बताया है।
Updated on:
20 Mar 2018 07:59 am
Published on:
20 Mar 2018 07:58 am
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