
सकट क्षेत्र में इस बार मानसून किसानों और ग्रामीणों के लिए खुशी और चिंता दोनों लेकर आया है। ढाई महीने से कभी तेज, कभी मध्यम और रिमझिम बारिश के चलते पहाड़ों से झरने बहने लगे हैं। इन झरनों का पानी नदी-नालों के जरिए बांध, तालाब, जोहड़ और एनिकटों में पहुंचा, जिससे अधिकांश जलस्रोत लबालब होकर छलक पड़े हैं।
बीधोता बांध की 19 फीट भराव क्षमता है और लगातार दूसरे साल यहां पानी की अच्छी आवक हुई है। ग्रामीणों के अनुसार बांध में पानी भरने से क्षेत्र के कुएं और बोरिंग का जलस्तर बढ़ने लगा है, जिससे पेयजल संकट काफी हद तक टल गया है।
लेकिन दूसरी ओर बांध के भराव क्षेत्र में खेतों में खड़ी खरीफ की फसलें पानी में डूब गई हैं। लंबे समय तक पानी भरे रहने से फसलें सड़ने लगी हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। बीधोता गांव में जल जीवन मिशन (JJM) योजना के तहत लगाए गए तीन बोरिंगों में से एक बोरिंग और उसकी बिजली सप्लाई देने वाली डीपी भी पानी में डूब गई है, जिससे वह बंद हो गई है। फिलहाल बाकी दो बोरिंगों से ही गांव में पेयजल आपूर्ति की जा रही है।
ग्रामीण शैलेन्द्र खटाणा और मलखान मीणा ने बताया कि बांध में पानी आने से कुओं और बोरिंगों का जलस्तर बढ़ना राहत की बात है, लेकिन खेतों में डूबी फसलों के कारण किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। बारिश ने जहां पानी की समस्या को दूर किया है, वहीं फसलों के नुकसान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।
Updated on:
12 Sept 2025 12:16 pm
Published on:
12 Sept 2025 11:43 am
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