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तेजी से गिर रहा अलवर का जलस्तर, पानी बचाने के लिए नहीं कोई जुगाड़

locationअलवरPublished: Aug 04, 2018 03:56:48 pm

Submitted by:

Prem Pathak

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Water Level Of Alwar Remains Very Low

तेजी से गिर रहा अलवर का जलस्तर, पानी बचाने के लिए नहीं कोई जुगाड़

अलवर. अलवर जिले में प्रति वर्ष जल स्तर का नीचे जाता जा रहा है। पानी की कमी इतनी चिंताजनक है पूरे जिले को ही डार्क जोन घोषित कर दिया गया है। अलवर जिला मुख्यालय के ही यह हालात है कि यहां प्रति वर्ष 15 से अधिक ट्यूबवैल सूख रहे हैं। एनसीआर पेयजल योजना में 147 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं लेकिन शहर वासियों को दो टाइम पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
अलवर जिले में पानी की कमी को दूर करने के लिए जल स्तर ऊंचा करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की शुरुआत की गई है लेकिन इसके प्रति उद्योग और ना ही बड़े घर वालों को परवाह है। उद्योगपति और मकान मालिक दोनों की पेनल्टी भरने के लिए तैयार हैं लेकिन वे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर गंभीर नहीं है। हालात यह है कि अलवर शहर से सटे हुए मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में एक हजार औद्योगिक इकाइयां हैं लेकिन इनमें से मात्र 40 औद्योगिक इकाइयों में ही वाटर हावेस्टिंग सिस्टम लगा है। इन औद्योगिक इकाइयों से प्रति वर्ष लाखों लीटर पानी जमीन में जाने की बजाए नालियों में बह रहा है।
अब बिना वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नहीं मिलेगी एनओसी

रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक परेश सक्सेना का कहना है कि अब औद्योगिक इकाइयों को किसी प्रकार की एनओसी देते समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया है। पुरानी इकाइयों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग रहे हैं जिसको लेकर उद्योगपति गंभीर नहीं है। वे पेनल्टी भरने को तैयार हैं लेकिन वे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को नहीं अपना रहे हैं।
पानी की हर साल हो रही कमी

पूरा अलवर जिला पानी की कमी के चलते डार्क जोन घोषित हो चुका है। जिले में कई स्थानों पर पानी 500 फिट नीचे तक चला गया है। जिले में भूजल का स्तर नीचे जाता जा रहा है। अलवर जिले की करीब 45 लाख की आबादी पूर तरह जमीनी जल पर निर्भर है और यहां सतही जल स्रोत नहीं है। पूरा जिला ट्यूबवैलों से होने वाले पानी सप्लाई पर निर्भर हो गया है। भूजल विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस तरह पानी का दोहन होता रहा तो आगामी 20 वर्षों में पानी का संकट और गहरा जाएगा।
पानी की स्थिति

अलवर जिला पूरा डार्क जोन घोषित, सामान्य 200 से 600 फिट तक पानी उपलब्ध, यही हाल रहा तो 20 साल बाद पानी का भारी संकट हो सकता है।

यह है उपाए
घरों व उद्योगों में वाटर हार्वेसिस्टम बनाया जाए, बरसात का पानी अधिक से अधिक संचित हो, कृषि में पानी का अधिक व्यय रोकने के लिए सिंचाई के अत्याधुनिक साधन अपनाए, पानी का दुरुपयोग रोके और अधिक से अधिक पौधें लगाए।
यह है तथ्य

अलवर जिले के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र
एमआईए, भिवाड़ी, राजगढ़, नीमराणा, बहरोड़ , सोतानाला, खुशखेड़ा, खैरथल, घिलोठ, शाहजंहापुर चौपानकी आदि।
औद्योगिक क्षेत्र में बने वाटर हार्वेसिस्टम सिस्टम
जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में मात्र 2500 हजार इकाइयों में ही वाटर हार्वेसिस्टम हैं जो कुल औद्योगिक इकाइयों का 5 प्रतिशत से भी कम है।
घरों में पानी बचाने का कोई जुगाड़ नहीं

घरों में छतों व बरसात का पानी बचाने के लिए कम ही लोगों को परवाह है। नगर विकास न्यास की ओर से 300 वर्गमीटर या इससे अधिक के साइज के प्लॉटों पर बने मकान में वाटर हार्वेसिस्टम बनानान आवश्यक है। ऐसे प्लॉट बिकते समय खरीददार से 50 हजार रुपए की राशि अमानत के रूप में जमा की जाती है। यदि कोई यह सिस्टम नहीं बनाता है तो यह अमानत राशि नहीं मिल पाती है। हालात यह है कि करीब 50 लोगों ने अपनी 50 हजार रुपए की अग्रिम राशि ही नहीं ली। वे वाटर हार्वेसिस्टम को अपनाने के लिए तैयार नहीं है।
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