
Railway meeting
अंबिकापुर। Ambikapur-Renukoot rail line: सरगुजा संभाग की बहुप्रतीक्षित मांगों में शुमार अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन (Ambikapur-Renukoot rail line) की फाइल मालगाड़ी की गति से खिसक रही है। जबकि रेलवे के सर्वे में ये पॉजीटिव है। इससे रेलवे को लाभ होगा। बावजूद इसके आलम यह है कि सिंगल लाइन व डबल लाइन के डीपीआर की फाइल रेलवे बोर्ड के दफ्तर में धूल फांक रही है। वहीं आजादी के बाद से बरवाडीह रेल लाइन को लेकर 7 मर्तबे सर्वे किए गए हैं।
लेकिन हर बार यह रेलवे को घाटे का सौदा नजर आया है। इसके बाद भी हर साल इसके सर्वे पर राशि खर्च की जा रही है। इन मुद्दों पर बुधवार को बिलासपुर में 19वीं क्षेत्रीय रेलवे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की बैठक भी हुई। इसमें भी अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन का मसला गूंजा।
सरगुजा में रेल सुविधाओं के विस्तार (Ambikapur-Renukoot rail line) के क्रम में अभी नागरिकों की सबसे महत्वपूर्ण मांग अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन की स्वीकृति है। क्योंकि यह आर्थिक से लेकर स्वास्थ्य, धार्मिक सहित अन्य सभी क्षेत्रों में काफी लाभदायक है।
अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन व अंबिकापुर-बरवाडीह रेल मार्ग के फाइनल लोकेशन सर्वे रिपोर्ट के जो तथ्य सामने आए हैं, इसमें भी अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन ही काफी उपयोगी साबित नजर आता है।
अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन (Ambikapur-Renukoot rail line) व बरवाडीह रेल मार्ग के फाइनल लोकेशन सर्वे रिपोट्र्स से स्पष्ट हो जाता है कि दोनों में अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन ही उपयोगी है। इसके बाद भी फाइल के मूवमेंट में देरी ने सरगुजावासियों को चिंतित कर रखा है।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार रेणुकूट रेल लाइन का एफआईआरआर (फाइनेंशियल इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न) लगभग साढ़े पांच प्रतिशत है, वहीं बरवाडीह का माइनस 0.52 में है। आंकड़ों के हिसाब से बरवाडीह मार्ग पूरी तरह से अलाभकारी है। अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन के समर्थन में छत्तीसगढ़ विधानसभा में 26 जुलाई को सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है।
रेणुकूट रेल लाइन (Ambikapur-Renukoot rail line) का इकोनॉमिकल इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न 19.5 प्रतिशत है, वहीं बरवाडीह रेल लाइन का इआईआरआर 3.81 प्रतिशत ही है। सामान्य तौर पर 14 प्रतिशत से अधिक ईआईआरआर को रेलवे के मानक के अनुसार अच्छा माना जाता है।
रेलवे की सर्वे रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यदि भविष्य में अम्बिकापुर-रेणुकूट रेलमार्ग में कोल परिवहन होता है तो एफआईआरआर जो 5.51 प्रतिशत है वह 15 प्रतिशत से अधिक होगा।
19वीं क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की दूसरी बैठक बुधवार को बिलासपुर को जीएम ऑफिस में हुई। इसमें समिति के सदस्य मुकेश तिवारी ने अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन के मांग की आवाज को एक मर्तबा फिर बुलंद किया।
उन्होंने प्रबंधन को बताया कि इस लाइन का ट्रैफिक प्रोजेक्शन तुलनात्मक तौर पर सभी मापदंडों पर रेलवे के लिए लाभकारी है। रोजाना तकरीबन 12 हजार लोगों को इस रुट से आना-जाना होता है। इन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। सभी कोल खदान से कोयले एवं बाक्साइट का परिवहन इसके माध्यम से किया जा सकता है।
अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन (Ambikapur-Renukoot rail line) के समकक्ष रेलवे बरवाडीह रेल लाइन के लिए भी लगातार सर्वे करा रहा है। जबकि इस लाइन में रेलवे के सर्वे के अनुसार ही फॉरेस्ट क्लीयरेंस की दिक्कत आएगी। इस लाइन में प्रस्तावित कई गांव झारखंड प्रदेश के भंडरिया टाइगर प्रोजेक्ट के हैं। इनमें से रेल ले जाना नामुमकिन सा है।
इसके अलावा इस रूट पर प्रस्तावित बिंदा रेलवे स्टेशन रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में है। हुतार और बरवाडीह के बीच बेतला नेशनल पार्क पड़ता है। ऐसे में इन इलाकों से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने की उम्मीद न के बराबर है। वहीं रेणुकूट रेल लाइन में ऐसी कोई परेशानी होने की संभावनाएं कम हैं।
रेलवे संघर्ष समिति के बैनर तले सरगुजावासियों ने 31 अगस्त 2023 से 4 सितंबर 2023 तक अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन के लिए जनचेतना पदयात्रा की थी। रेलवे की सुस्त कार्यप्रणाली को देखते हुए रेलवे संघर्ष समिति के सदस्य एक और आंदोलन की को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में हैं।
दूरी:- 152.30 किमी 199.98 किमी
लागत:- 8217.97 करोड़ 9030.43 करोड़
इआईआरआर:- 19.5 प्रतिशत 3.81 प्रतिशत
एफआईआरआर:- 5.51 प्रतिशत - 0.52 प्रतिशत
अनुमानित ट्रैफिक 19.5 एमटीपीए 5.75 एमटीपीए
सर्वे खर्च अब तक 24.94 लाख 66.2 लाख
Published on:
26 Sept 2024 09:21 pm
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