26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नशे ने एक परिवार को कैसे किया तबाह, यह खबर पढ़कर हो सके तो आप भी छोड़ दें ये लत

तंबाकू और गुटखे का सेवन करता था किसान, इलाज में काफी रुपए लग गए लेकिन तबीयत दिनों-दिन होती जा रही खराब

2 min read
Google source verification
Victim

Cancer victim

अंबिकापुर. एक किसान की नशे की लत ने सब कुछ नाश कर दिया। इसका खामियाजा आज पूरा परिवार भुगत रहा है। किसान तंबाकू व गुटखा का सेवन करता था। इससे वह मुंह के कैंसर की बीमारी से ग्रसित हो गया।

अब उसके इलाज में परिवार वालों ने काफी रुपए लगा दिए हैं, इसके बावजूद भी उसकी जान खतरे में ही है। परिवार वाले उसकी जान बचाने जमीन व घर के कीमती जेवरात तक बेच चुके हैं, उसकी जान तो खतरे में है ही, पूरा परिवार आर्थिक रूप से टूट चुका है।


लखनपुर विकासखंड के ग्राम कोरजा निवासी ५२ वर्षीय नंदलाल राजवाड़े पिता जगेश्वर राजवाड़े खेती किसान कर परिवार चलाता है। वह पिछले १५ वर्ष से तम्बाकू का सेवन कर रहा था। इससे मुंह में छाले व दांत में दर्द से पीडि़त रहने लगा। इस दौरान गांव के झोलाछाप डॉक्टरों ने उसे ठीक करने का आश्वासन देकर लाखों रुपए ठग लिए।

इसके बावजूद भी वह ठीक नहीं हो सका। बीमारी ठीक न होता देख परिवार वालों ने झाडफ़ूंक व देवारी कराना शुरू कर दिया। यहां भी काफी रुपए लुटाए। इसके बावजूद निराशा ही हाथ लगी। ठीक होने के बजाय दर्द और बढ़ गया। इस दौरान कुछ लोगों ने उसे तम्बाकू छोडऩे की सलाह दी। तब मरता क्या न करता, उसने तम्बाकू छोड़ दिया, लेकिन काफी देर हो चुकी थी।

इस बीच दर्द बर्दाश्त न होने पर उसने गुड़ाखू का सेवन शुरू कर दिया। इस दौरान वह दिन भर में कम से कम 8 से 10 बार गुड़ाखू का सेवन करने लगा। 3 महीने में ही छाला अन्दर से बाहर आ गया और दीमक की तरह मांस को खाता चला गया। अब वह पूरी तरह से मुंह के कैंसर की चपेट में आ गया है और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है।


इलाज में हो चुके हंै लाखों रुपए खर्च
परिवार वालों ने बताया कि नंदलाल राजवाड़े के इलाज में अब तक लगभग 6 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। परिवार के लोग खेती किसान कर जीवन यापन करते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। इस कारण उसे अब बेहतर इलाज के लिए कहीं बाहर नहीं ले जा सकते हैं।

कुछ दिन पूर्व रायपुर में रहकर उसका इलाज कराया गया था। इस दौरान काफी रुपए खर्च हुए थे।ीमक की तरह मांस को खाता चला गया। अब वह पूरी तरह से मुंह के कैंसर की चपेट में आ गया है और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है।


प्रत्येक वर्ष पहुंचते हैं 400 मरीज
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नाक-कान, गला विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि तम्बाकू व गुटखा सेवन से बीमार होकर काफी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। यह जानलेवा बीमारी है। तम्बाखू व गुटखा सेवन से कई तरह की बीमारी होती है।

इसका मुख्य लक्ष्ण है मुंह में सफेदी होना, मुंह का कम खुलना, मुंह में छाला होना, गर्म या मसालेदार भोजन करने पर मुंह में जलन होना यह सब कारण पाए जाते हैं। इस तरह की बीमारी से साल में लगभग 300 से 400 मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं। इसमें कई मरीजों को कैंसर का लक्षण पाया जाता है। उन्हें चिन्हांकित के लिए बाहर भेजा जाता है।


बेचना पड़ा जमीन व जेवर
नंंदलाल राजवाड़े मुंह के कैंसर की बीमारी से ग्रसित हो गया है। उसके परिवार वाले काफी गरीब हैं। खेती किसानी पर ही निर्भर हंै। परिजन उसकी इलाज में अब तक जमीन व घर के कीमती जेवर बेचकर लगभग 5 से 6 लाख रुपए लगा चुके हैं। इसके बावजूद भी वह जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है। तम्बाकू व गुटखा खाने के कारण उसके मुंह का जबड़ा पूरी तरह सड़ गया है।