
Pando's family whose death in bus
अंबिकापुर. President Adopted Son: स्थानीय स्तर पर रोजगार न मिलने से बलरामपुर जिले के दर्जनों पंडो जनजाति काम की तलाश में चेन्नई व हैदराबाद गए हुए हैं।
यहां ठेकेदार द्वारा समय पर पैसे नहीं दिए जाने से एक मजदूर समय पर अपना इलाज नहीं करा सका और भोजन के अभाव में वह कमजोर हो गया। वह निराश होकर अपने 2 साथियों के साथ अपने गांव लौट रहा था। रास्ते में अंबिकापुर पहुंचने से पूर्व ही बस में ही उसकी मौत हो गई।
गौरतलब है कि विशेष पण्डो जनजाति के उन्नयन के लिए शासन द्वारा चलाए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गरीब और अशिक्षित विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेश जाने को विवश हैं।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत महादेवपुर के तिवरीपारा बिशुनपुरा निवासी सोहर ताव पण्डो पिता धीरसाय ताव पण्डो उम्र 32 वर्ष 3 महीने पूर्व गांव के ही जगेश पण्डो , सुरेश पण्डो, रामजीत पण्डो, सुरेन्द्र पण्डो के साथ चेन्नई मजदूरी करने गया था।
ठेकेदार द्वारा समय पर मजदूरी नहीं दी जा रही थी। इससे निराश होकर सभी हैदराबाद काम करने चले गए। वहां काम करने के दौरान सोहर ताव पण्डो की तबियत खराब हो गई।
ज्यादा तबियत खराब होने पर सोहर ने गांव लौटने की बात कही। तबियत खराब होने के बावजूद भी ठेकेदार ने इन मजदूरों को पूरा पैसा नहीं दिया। केवल किराया देकर सोहर, जागेश व सुरेश को वापस भेज दिया।
बस में ही हो गई मौत
तीनों हैदराबाद से बस से रायपुर 19 अक्टूबर की शाम को पहुंचे। रायपुर से अंबिकापुर होते हुए वाड्रफनगर बस से आ रहे थे। तभी रास्ते में सोहर की ज्यादा तबियत खराब हो गई और अंबिकापुर पहुंचने से पहले सोहर ताव की बस में ही मौत हो गई।
बस कंडक्टर द्वारा अंबिकापुर बस स्टैंड पहुंचने से पहले ही मृतक सहित तीनों को रिंग रोड पर उतार दिया गया। मौत की स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर साथी मजदूर उसे 108 एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले गए। यहां जांच के दौरान चिकितसकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
नहीं मिल पा रहा योजनाओं का लाभ
पंडो जनजाति समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि सोहर काफी गरीब परिवार से था। वह परिवार का अकेला कमाने वाला था। उसकी 2 बेटियां हंै।
अत्यंत गरीब होने के बावजूद भी उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। वहीं गांव में मनरेगा व अन्य योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता है। इससे परेशान होकर लोग रोजी-रोटी की जुगाड़ में मेहनत मजदूरी करने दूसरे प्रदेश जाने को विवश हैं।
Published on:
20 Oct 2021 09:16 pm
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