केंद्र (Central Government) द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार पुलिस पीडि़त पक्ष या उनके कानूनी प्रतिनिधियों को सड़क हादसे से संबंधित उनके अधिकारों व दावों के बारे में जरूर बताएगी। अब पुलिस को 48 घंटे के भीतर इंश्योरेंस कंपनियों को मोटर एक्सिडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल्स (MACTs) व हादसे (Road Accident) की जानकारी देनी होगी। यही नहीं, बीमा प्रमाण पत्रों में वैध मोबाइल नंबर को भी 1 अप्रैल से अनिवार्य किय जा रहा है। सरकार की मंशा है कि मामले का निपटारा तेजी से किया जाए।
50 दिन के भीतर सौंपनी होगी अंतरिम जांच रिपोर्ट
पुलिस अब मौके पर जाकर सड़क हादसे की जांच करेगी और सबूत जुटाएगी। सरकार ने सड़क हादसे के निपटारे के लिए टाइम भी लिमिट की है। इसके अनुसार अब पुलिस को 50 दिन के भीतर मोटर एक्सिडेंटल क्लेम ट्रिब्यूनल को अंतरिम जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी। वहीं जांच पूरा करने के लिए 3 महीने का समय निर्धारित किया गया है।
नियम जो 1 अप्रैल से बदलने वाले हैं-
1. सड़क हादसे के बाद पुलिस को हादसा स्थल पर जाकर सबूत जुटाने होंगे तथा 48 घंटे के भीतर इसकी सूचना मोटर एक्सिडेंटल क्लेम ट्रिब्यूनल को देनी होगी। वहीं इंश्योरेंस कंपनी को संबंधित व्यक्ति द्वारा लिए गए पॉलिसी की डिटेल भी देनी होगी।
2. अस्पतालों के लिए यह नियम हैं कि उन्हें 15 दिन के भीतर एमएलसी और पीएम रिपोर्ट देना होगा।
3. इन्वेस्टिेशन ऑफिसर को 10 दिन के भीतर पीडि़त पक्ष तथा उनके कानूनी प्रतिनिधियों को उनके अधिकार व दावा से संबंधित जानकारी देनी होगी। वहीं 50 दिन के भीतर अंतरिम जांच रिपोर्ट क्लेम ट्रिब्यूनल को देनी होगी।
4. पुलिस को ड्राइवर व वाहन मालिक की जानकारी 30 दिन के भीतर देनी होगी तथा आपराधिक जांच 60 दिन के भीतर पूरी करने की बात कही गई है।
5. इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर ट्रिब्यूनल के सामने 90 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
6. एक अन्य नियम भी बनाए गए हैं इसके अनुसार कार या अन्य बड़े वाहनों की कांच पर अब एक और स्टिकर चिपकाना होगा। यह स्टीकर उसके फिटनेस स्टेटस का प्रमाण होगा। इससे एक्सपायर फिटनेस टेस्ट सर्टिफिकेट वाली गाडिय़ों को पकडऩे में आसानी होगी।