
Topic of the day with Amlendu Mishra
अंबिकापुर. सरगुजा संभाग में हाथी आए दिन लोगों की जान ले रहे हैं। घर तोडऩे के अलावा वे फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। आखिर हाथी ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या उनका नेचर ही ऐसा है? 'टॉपिक ऑफ द डे' कार्यक्रम में हाथी विशेषज्ञ अमलेंदु मिश्रा से पत्रिका ने इन्हीं विषयों को लेकर चर्चा की। इसमें यह बात निकलकर सामने आई कि हाथियों से बचने हमें उनके साथ मिलकर रहना सीखना होगा। यदि हाथियों को हम परेशान नहीं करेंगे तो वे कतई हमें भी परेशान नहीं करेंगे।
अमलेंदु मिश्रा ने हाथियों को लेकर कई मूवी बनाई है जो लंदन में भी काफी सराही गई है। उन्होंने बताया कि सरगुजा संभाग में करीब 100 हाथी इन दिनों विभिन्न जंगल में विचरण कर रहे हैं। हाथियों के आक्रामक होने के पीछे कारण यह है कि गांव जंगल की ओर जा रहे हैं। जंगल में एकल घरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में हाथी कहां जाएं। वे रहने का सुरक्षित ठिकाना ढूंढ रहे हैं।
जंगल में उन्हें यदि कोई घर दिखता है और वहां खाने की सामग्री मिल जाती है तो उसे क्षतिग्रस्त करते हैं। ऐसे में यदि कोई उनके सामने आता है तो वे उसे मार डालते हैं। हमें उनके मूड को भी समझना होगा। हाथी हर दिन किसी न किसी क्षेत्र से मनुष्यों द्वारा खदेड़े जा रहे हैं। महीनों तक लगातार खदेड़े जाने से हाथी मानव को अपना दुश्मन समझ बैठा है।
हाथी यह सोचते हैं कि यदि हम इसे मार दें तो हमारी परेशानी खत्म हो जाएगी और हमे रहने को भी सुरक्षित स्थान मिल जाएगा। ऐसे में किसी व्यक्ति के सामने आने पर वे उसे विभत्स तरीके से मार डालते हैं। मानव के प्रति उनके मन में इतना गुस्सा भरता जा रहा है कि वे उसकी लाश के टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं।
कुमकी हाथी करेंगे प्रशिक्षित
अमलेंदु मिश्रा ने बताया कि सरगुजा के हाथियों को प्रशिक्षित करने कर्नाटक से 5 कुमकी हाथी लाए गए हैं। महावतों के द्वारा इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त हाथी मानवों के साथ मित्रवत व्यवहार करेगा। कर्नाटक में भी इसी की तर्ज पर जंगली हाथियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वहां के हाथी मनुष्यों से मिल-जुलकर रहते हैं। वहां हाथी द्वारा मनुष्यों की मारने की घटना नहीं के बराबर होती है।
हाथियों से बचने ये करना होगा
अमलेंदु मिश्रा ने बताया कि हाथियों के गांव की ओर आने की खबर सभी ग्रामीणों को होती है। यदि हाथी गांव के आस-पास आता है तो तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दें तथा हाथियों के पास जाने से बचना चाहिए। इसके अलावा शाम को हाथियों के निकलने के समय उन्हें जाने के लिए रास्ता दें, उनसे छेड़छाड़ न करें।

Published on:
08 Feb 2018 03:42 pm
बड़ी खबरें
View Allअंबिकापुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
