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नील आर्मस्ट्रॉन्ग को चांद पर पहुंचाने वाले Apollo 11 मिशन के पायलट माइकल कॉलिंस नहीं रहे, कैंसर से हुआ निधन

Apollo 11 मिशन के पायलट माइकल कॉलिंस ने 90 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, चांद की लगा चुके परिक्रमा

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भारत

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Dheeraj Sharma

Apr 29, 2021

55 years ago Apollo 11 left equipment on moon is still working

Apollo 11

नई दिल्ली। अपोलो 11 मिशन (Apollo 11 Mission) का हिस्सा रहे एस्ट्रोनॉट माइकल कॉलिंस (Michael Collins) अब इस दुनिया में नहीं रहे। नील आर्मस्ट्रॉन्ग (Neil Armstrong) और बज एल्ड्रिन (Buzz Aldrin) को चंद्रमा तक ले जाने वाले वाले कॉलिंस का कैंसर की वजह से निधन हो गया।

उन्होंने फ्लोरिडा के नेपल्स में 90 वर्ष की उम्र में अंतिम साल ली। खास बात है कि वो अपोलो 11 मिशन ही था, जिसने अमरीका और रूस के बीच अंतरिक्ष को लेकर जारी रेस खत्म की थी।

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अपोलो-11 मिशन के पायलट और एस्ट्रोनॉट माइकल कॉलिंस अब इस दुनिया में नहीं रहे। माइकल कॉलिंस ने ही अपोलो-11 मिशन को चांद पर सफलतापूर्वक उतारा था। इसके बाद नील आर्मस्ट्रॉंन्ग ने चांद पर पहला कदम रखा था। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के बाद बज एल्ड्रिन ने चांद की सतह पर अपने पैर रखे थे।

चांद की परिक्रमा लगा रहे थे कॉलिंस
दरअसल जिस वक्त चांद की सतह पर नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन अपने कदम बढ़ा रहे थे उस दौरान माइकल कॉलिंस चांद की परिक्रमा लगा रहे थे।

कॉलिंस के परिवार की ओर से एक बयान भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि, 'माइक ने हमेशा अनुग्रह और विनम्रता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना किया और इसी तरह, अपनी अंतिम चुनौती ( कैंसर ) का भी सामना किया।'

कॉलिंस के निधन पर अमरीकी राष्ट्पति जो बिडेन ने भी शोक जताया। उन्होंने एक बयान में कहा, 'माइकल कॉलिंस ने हमारे देश की अंतरिक्ष में उपलब्धियों को लिखने और बताने में मदद की है।'

कॉलिंस ने 'मांग की है कि सभी उन्हें, केवल माइक कहकर बुलाएं.' कलिंस ने 8 दिनों के अपोलो मिशन के कमांड मॉड्यूल का संचालन किया।

माइकल कॉलिंस के निधन पर नासा के एक्टिंग एडमिनिस्ट्रेटर स्टीव जुरसिक ने कहा कि अमेरिका और दुनिया ने आज सच्चा एस्ट्रोनॉट खो दिया है।

आपको बता दें कि अपोलो-11 अंतरिक्ष यान को 1969 में अमरीका के कैनेडी स्पेस सेंटर लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से सुबह 08:32 बजे लॉन्च किया गया था। नील, बज और माइकल की टीम चांद की यात्रा पूरी करने के बाद 24 जुलाई 1969 को वापस धरती पर लौटी थी।

खास बात यह है कि इनके लैंडिंग कैप्सूल का स्पैल्श डाउन प्रशांत महासागर में हुआ था। अपोलो-11 मिशन को पूरा करने के लिए दुनियाभर के 40 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी मेहनत और समय का योगदान दिया था।

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अपनी उड़ान को लेकर कही ये बात

उनके जीवन में यह सवाल कई बार पूछा गया कि क्या उन्हें चांद पर नहीं उतरने का दुख है। हालांकि वो इस सवाल के जवाब के हंस कर टाल देते थे।

हालांकि अपनी उड़ान को लेकर वे जरूर एक बात कहते थे, 'उड़ान के बारे में, जो चीज मुझे याद है, वह है पृथ्वी का दृश्य ... उज्ज्वल, सुंदर, शांत और नाजुक।' दरअसल, कॉलिंस कमांड मॉड्यूल पायलट एक्सपर्ट थे।