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अमेरिका में ‘बापू के आशीर्वाद’ वाले पत्र की नीलामी 12 सितंबर तक, ‘चरखे’ का किया था जिक्र

‘चरखे’ के जिक्र वाला यह पत्र राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने यशवंत प्रसाद नाम के एक व्यक्ति को लिखा था। इस पर कोई तारीख अंकित नहीं है।

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gandhi ji

अमेरिका में ‘बापू के आशीर्वाद’ वाले पत्र की नीलामी 12 सितंबर तक, ‘चरखे’ का किया था जिक्र

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने एक पत्र में चरखे के महत्व के बारे में बताया था। अब खबर यह है कि अमेरिका का नीलामी घर आरआर ऑक्शन इस ऐतिहासिक पत्र को नीलाम करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह पत्र बिना तारीख के है। नीलामी घर इसे 5 हजार डॉलर में नीलाम कर सकता है। नीलामी घर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह पत्र महात्मा गांधी ने यशवंत प्रसाद नाम के किसी व्यक्ति को लिखा था। यह गुजराती भाषा में लिखा गया है, जिस पर ‘बापू का आशीर्वाद’ लिखा हुआ है। गांधी ने पत्र में लिखा है- ‘हमने जो चरखे के बारे में सोचा था, वह हो गया।’

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महत्वपूर्ण है चरखे का उल्लेख

गांधी जी ने पत्र में आगे लिखा है कि- उन्होंने लिखा, ‘हालांकि तुमने जो कहा वह सही है, ये सब कुछ करघों पर निर्भर करता है।’ जानकारों के अनुसार- इस पत्र में महात्मा गांधी की ओर से चरखे का उल्लेख करना अत्याधिक महत्त्वपूर्ण है। चूंकि उन्होंने इसे आर्थिक स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर अपनाया था। गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशवासियों को सहयोग के लिए उन्हें हर दिन खादी कातने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के तहत सभी भारतीयों को अंग्रेजों की ओर से बनाए गए कपड़ों के बजाए खादी पहनने के लिए प्रोत्साहित किया था।’

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ऑन लाइन है जाएगी नीलामी

नीलामी घर के बयान के अनुसार- इस पत्र की ऑनलाइन नीलामी 12 सितंबर तक होगी। गौर हो, देश की आजादी के अंदोलन के दौरान चरखा और खादी प्रतीक के रूप में उभरे थे। बता दें, महात्मा गांधी ने अपने जिस पत्र में ईसा मसीह की मौजूदगी की प्रकृति पर चर्चा की थी, उसे इसी साल मार्च में नीलामी के लिए रखा गया था। इस पत्र पर छह अप्रैल, 1926 की तिथि अंकित थी और गांधी जी ने इसे भारत में अपने साबरमती आश्रम से लिखा था।