
ट्रंप
इस्लामाबाद। 22 जुलाई को अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ( Imran Khan ) की पहली अधिकारिक मुलाकात होगी। विवादों को सुलझाने के लिए पाकिस्तान के पीएम के पास यह सुनहरा अवसर होगा। बीते काफी समय से दोनों देशों के बीच कड़वाहट बढ़ती जा रही है। आतंकवाद के मुद्दे को लेकर अमरीका लगातार पाकिस्तान पर शिकंजा कस रहा है। तमाम तरह के प्रतिबंधों के कारण पाकिस्तान आर्थिक बदहाली का शिकार हो गया है। ऐसे में इस वार्ता से कई उम्मीदें लगाई जा रही हैं।
हाल ही में काफी विवादों और अफवाहों के बाद वाइट हाउस ( White House) ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि पाकिस्तानी पीएम जल्द ही अमरीका दौरे पर आएंगे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। वाइट हाउस की पुष्टि के बाद इस यात्रा को लेकर उठ रहे सवालों पर लगाम लग गई। आपको बता दें कि वाइट हाउस की तरफ से यात्रा की पुष्टि में देरी के कारण कई तरह की अटकलों ने जोर पकड़ लिया था। खुद पाकिस्तानी मीडिया में इमरान की अमरीका यात्रा को लेकर संशय बना हुआ था। वहीं, इससे पहले रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से इमरान को ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में आमंत्रित न किए जाने के खुलासे के बाद अमरीका की यात्रा को भी उसी नजर से देखा जाने लगा था।
वाइट हाउस और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बीते बुधवार को राष्ट्रपति ट्रंप के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री खान की अमरीका यात्रा की घोषणा की। मंत्रालय ने कहा कि पीएम इमरान खान 21 से 23 जुलाई को संयुक्त राज्य अमरीका का दौरा करेंगे।
ट्रंप की मेजबानी के कई अर्थ
इमरान की मेजबानी के लिए ट्रंप की इच्छा से पता चलता है कि दोनों पक्षों में कुछ खास मुद्दों पर चर्चा हो सकती हैै। राष्ट्रपति ट्रंप आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका को महत्वपूर्ण मान रहे हैं। विशेष रूप से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में इस्लामाबाद का रोल सबसे अहम हैं। मगर अभी तक पाकिस्तान कभी भी अमरीका की कसौटी पर खरा नहीं उतरा है। एक साल पहले ट्रंप ने हक्कानी नेटवर्क को लेकर पाकिस्तान के रवैये पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद से उसने पाक पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे।
पाकिस्तान के पास समझौता ही विकल्प
अमरीका के साथ बैठक को लेकर इमरान खान के पास विकल्प बहुत कम हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब अमरीका से अपने संबंध बेहतर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं हैं। अमरीका का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई करे। इसके साथ उनके वित्तपोषण को भी बंद करे। इस बैठक में ट्रंप इमरान से किसी खास मुहिम पर मुहर लगवा सकते हैं।
खास तौर पर लश्कर और जमात-उद-दावा जैसे बड़े आतंकी संगठन के खात्मे को लेकर इमरान से हामी ले सकते हैं। इसके बदले पाकिस्तान को राहत पैकेज की मंजूरी की शर्त रखी जा सकती है। ट्रंप इसके साथ अफगानिस्तान की समस्या का हल भी निकलना चाहते हैं। इसमें पाकिस्तान की सेना अहम भूमिका अदा कर सकती है।
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Updated on:
13 Jul 2019 01:17 pm
Published on:
13 Jul 2019 07:20 am
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