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जटिल प्रक्रिया में फंसा अमरीकी चुनाव! नतीजे आने में लग सकता है लंबा समय कोर्ट तक जा सकता है मामला दरअसल, अगर चुनाव परिणाम को लेकर विवाद बढ़ा तो इसे विभिन्न तरीकों से लड़ा जा सकता है और परिणाम में काफी देरी हो सकती है। चुनाव परिणाम में अगर करीबी मुकाबला होता तो इसमें मुकदमेबाजी भी हो सकती है। इतना ही नहीं मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। साल 2000 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। फ्लोरिडा में जॉर्ज बुश ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार अल गोर से 537 वोटों से जीत हासिल की थी। इस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। कहा यहां तक जा रहा है कि ट्रंप ने कुछ समय पहले ही कोनी बैरेट को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया था। लिहाजा, अगर अदालत में चुनाव लड़ा गया तो वह ट्रंप के पक्ष में जा सकते हैं। ट्रंप ने वोटों की गिनती के दौरान बुधवार को कहा था कि कानून का सही तरीके से इस्तेमाल हो। लिहाजा, वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने यहां तक कहा था कि हम चाहते हैं कि मतदान को रोक दिया जाए। ट्रंप ने कहा कि भले ही अमरीकी राज्यों में चुनाव के लिए कानून की आवश्यकता हो, सभी मतों की गिनती की जानी चाहिए, क्योंकि कई राज्यों को कानूनी मतपत्रों को पूरा करने के लिए नियमित रूप से दिन लगते हैं।
ऐसे मिलती है जीत गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति लोकप्रिय वोट के बहुमत से नहीं चुना जाता है। संविधान के तहत, निर्वाचक मंडल के रूप में जाने वाले 538 मतदाताओं में से अधिकांश को जीतने वाला उम्मीदवार अगला राष्ट्रपति बनता है। 2016 में ट्रम्प ने डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन के लिए राष्ट्रीय लोकप्रिय वोट खो दिया लेकिन जीत के लिए 227 में से 304 वोट हासिल किए। वह उम्मीदवार जो प्रत्येक राज्य के लोकप्रिय वोट को जीतता है, वह आमतौर पर राज्य के मतदाताओं को अर्जित करता है। वहीं, आम तौर पर राज्यपाल अपने राज्यों में परिणामों को प्रमाणित करते हैं और कांग्रेस के साथ जानकारी साझा करते हैं।