
अमरीका के लिए फलस्तीन की 'खुशहाली' के क्या हैं मायने
वाशिंगटन। अमरीका अब फिलिस्तीन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। दुनिया की नजर में वह इसे 'पीस टू प्रोस्पेरिटी' यानी 'शांति से संपन्नता' तक का नाम दे रहा है। मगर विशेषज्ञों की माने तो वह यहां पर अपना बड़ा बाजार ढूंढ़ रहा है। गाजा पट्टी से जुड़ा फिलिस्तीन अकसर सुर्खियों में रहा है।
अमरीका का कहना है कि फिलिस्तीन की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए और उसे पड़ोसी अरब मुल्कों से रेल और सड़क माध्यम से जोड़ना जरूरी है। इसके लिए एक ग्लोबल इंवेस्टमेन्ट फंड की आवश्यकता है। वाइट हाउस ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए लिखा है कि फिलिस्तीन में कई पीढ़ियों ने मुश्किल परिस्थितियों में अपना जीवन यापन किया है। लेकिन अब इसका अगला अध्याय आज़ादी और सम्मान का होगा।
अमरीका के अनुसार इसके जरिए फिलिस्तीन के समाज, वहां रहने वाले लोगों और वहां की सरकार को मदद मिलेगी। साथ ही वहां नौकरियां बढ़ेंगी और तेजी से आर्थिक तरक्की होगी। अमरीका को उम्मीद है कि किसी शांति समझौते तक पहुंचने की सूरत में इस प्रांत का विकास किया जा सकता है। हालाकि फिलिस्तीन ने ट्रंप प्रशासन की इस योजना को खारिज कर दिया है। उसका कहना है कि फिलिस्तीन के इलाकों पर इसराइली कब्ज़े को नजरअंदाज कर किसी तरह की योजना नहीं बनाई जा सकती है।
क्या है योजना
वाइट हाउस की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक निवेश गाजा और वेस्ट बैंक पर किया जाएगा। इसके बाद जॉर्डन, मिस्र और लेबनन में भी होगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पांच अरब डॉलर का निवेश केवल वेस्ट बैंक को गज़ा से जोड़ने के लिए होगा। इसके साथ नई सड़कों के निर्माण और पुरानी सड़कों को दुरुस्त किया जाएगा। इस पूरी योजना में निर्माण और व्यापार से जुड़ी करीब 179 छोटी-बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
वाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार जेरेड कुशनर बहरीन के मनामा में जून 25 और 26 को इसे लेकर प्रस्ताव रखने वाले हैं। एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में योजना की पूरी रूपरेखा पेश करेंगे। जेरेड कुशनर का कहना है कि अगर इसे आगे बढ़ाया जाए तो ये "सदी में एक बार मिलने वाला अवसर" साबित होगा। गौरतलब है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिलिस्तीन के बजार को भुनाना चाहते हैं। यहां युद्ध की वजह से लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। ऐसे में उनके दामाद कुशर जो की एक बिजनेसमैन उनके लिए यह बेहतरीन अवसर होगा।
2017 में राष्ट्रपति ट्रंप ने इजराइल की राजधानी के रूप में यरूशलम को मान्यता दे दी थी। इसके बाद से फिलिस्तीन और अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच वार्ता बंद हो चुकी है।फिलिस्तीन का कहना है कि वो एक स्वतंत्र देश है और पूर्वी येरूशलम उसकी राजधानी है।
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Updated on:
25 Jun 2019 02:51 pm
Published on:
25 Jun 2019 07:44 am
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