Alwar Road Accident: मोर्चरी के बाहर चीख-पुकार मचती रही। पोस्टमार्टम के बाद तीनों मृतकों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। रात को पूरे गांव में किसी के घर चूल्हा भी नहीं जला।
High Speed Dumper Hit Bike: तेज रफ्तार डंपर ने एक ही झटके में 3 जिंदगियां छीन लीं। चाचा-भतीजा और एक युवक की मौत से गांव में मातम पसर गया। परिजन चीख-चीखकर रोते रहे और शाम को तीनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया। दरअसल प्रतापगढ़ थाना क्षेत्र के झिरी गांव के बस स्टैंड से करीब तीन सौ मीटर पहले घुमाव पर तेज रफ्तार डंपर ने एक बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सवार बाबूलाल मीना (40), दिनेश मीना (8) और अशोक (22) की मौत हो गई। चौथा युवक नरसीराम (26) गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे जयपुर-दिल्ली रोड स्थित चंदवाजी में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह हादसा बुधवार सुबह करीब 9.30 बजे हुआ।
प्रतापगढ़ थाना प्रभारी जगजीवन राम ने बताया कि चारों जने एक ही बाइक पर सवार थे। टक्कर इतनी तेज थी कि बाइक के तीन टुकड़े हो गए। जिस डंपर ने इनकी बाइक को टक्कर मारी वह दौसा में किसी क्रेशर पर गिट्टी लेने जा रहा था। हादसा होते ही चालक फरार हो गया। पुलिस ने डंपर को जब्त कर लिया है। बाइक सवार तीनों मृतक व घायल मैजोड़ गांव के निवासी हैं। इसमें बाबूलाल मीना और दिनेश मीना रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं। हादसे के बाद आक्रोशित लोगों ने अलवर-जयपुर रोड जाम कर दिया। करीब तीन घंटे बाद थानागाजी विधायक कांतिलाल मीणा व पुलिस-प्रशासन की समझाइश पर जाम खुला। हादसे की खबर मिलते ही मैजोड़ गांव में कोहराम मच गया।
बताया जा रहा है दिनेश के बड़े भाई मोहित ने जयपुर जिले के दंताला गांव स्थित मीणा हॉस्टल में एडमिशन लिया था। हॉस्टल में दस्तावेज जमा कराने के लिए दिनेश उसके चाचा बाबूलाल सहित अन्य युवक एक ही बाइक पर सवार होकर दंताला गांव जा रहे थे। बाबूलाल को बाइक चलाना नहीं आता था इसलिए गांव के अशोक मीना को साथ लेकर गए थे। दिनेश अपने बड़े भाई मोहित से मिलने की जिद करके उनके साथ गया था। जबकि घायल युवक नरसीराम रास्ते में कहां से उनके साथ बाइक पर बैठा था इसकी अभी जानकारी नहीं मिल सकी है।
हादसे के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। इस दौरान आक्रोशित लोगों ने अलवर-जयपुर रोड जाम कर दिया। इस बीच वहां से गुजरने का प्रयास कर रहे एक बाइक सवार के साथ ग्रामीणों ने मारपीट कर दी।
सूचना पर थानागाजी पुलिस उपाधीक्षक महावीर सिंह, ट्रेनी आईएएस ऐश्वर्या प्रजापति सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और जाम लगा रहे लोगों से समझाइश की लेकिन ग्रामीण प्रत्येक मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा और एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देने, डंपर चालक को गिरफ्तार करने तथा अवैध खानों व ओवरलोड डंपरों पर कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। बाद में दोपहर 12 बजे थानागाजी विधायक कांतिलाल मीणा मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों की मांगों से प्रशासन को अवगत कराया। इसके बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे जाम खोल दिया गया।
यह हादसा ऐसे लोगाें के लिए बड़ा सबक है, जो यातायात के नियमों की परवाह नहीं करते। इस हादसे में भी यह बात सामने आई है कि चार जने एक ही बाइक पर सवार थे। जबकि एक बाइक पर दो ही जने होने चाहिए। एक ही दुपहिया वाहन पर तीन से चार सवारियां अलवर शहर समेत पूरे जिले में कई जगह दिख जाती हैं। यह जानते हुए भी कि ऐसा करना खतरनाक है। मौत को दावत देना है, लोग नहीं मानते।ज्यादातर दुपहिया वाहन चालक हेलमेट भी अपनी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि यातायात पुलिस के चालान से बचने के लिए लगाते हैं। ऐसे लोगाें को रोकना सिर्फ यातायात पुलिस का काम नहीं है, परिवार के सदस्यों को भी जिम्मेदारी निभाते हुए समझाइश करनी चाहिए।
मृतक बाबूलाल खेती-बाड़ी का काम करता था। उसके दो छोटे बच्चे हैं। उसका भतीजा दिनेश दूसरी कक्षा का छात्र था। तीसरा मृतक अशोक विवाहित था। उसके अभी बच्चे नहीं हैं। वह ट्रक ड्राइवरी का काम करता था। हादसे में गंभीर रूप से घायल हुआ नरसीराम विवाहित है। वह भी खेती-बाड़ी का काम करता है। उसके भी बच्चे नहीं हैं।
शाम को पोस्टमार्टम के दौरान प्रतापगढ़ सीएचसी पर मृतकों के रिश्तेदार सहित अन्य ग्रामीणों की भीड़ एकत्र हो गई। मोर्चरी के बाहर चीख-पुकार मचती रही। पोस्टमार्टम के बाद तीनों मृतकों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। रात को पूरे गांव में किसी के घर चूल्हा भी नहीं जला।
इसी साल फरवरी में प्रतापगढ़ बस स्टैंड पर खनन कर पत्थर ले जा रहे एक ओवरलोड डंपर ने बाइक को कुचल दिया था। इस हादसे में एक महिला की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने ओवरलोड डंपर व ट्रकों के खिलाफ कुछ कार्रवाई की थी। इसके बाद फिर वही हाल हो गया। अब हालत यह है कि झिरी स्थित कुछ खानों से ओवरलोड डंपर दिन-रात दौड़ते हैं। ये डंपर प्रतापगढ़ पुलिस थाना, वन चौकी प्रतापगढ़, थानागाजी पुलिस थाना, डीएसपी कार्यालय व वन क्षेत्रीय अधिकारी कार्यालय के सामने से होकर गुजरते हैं, लेकिन इन्हें कोई नहीं रोकता।