अलवर

राजस्थान के इस शहर की लड़की ने नहीं मानी हार, हौसले-मेहनत से बनी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

Rajasthan News : राजस्थान के इस शहर की लड़की ने नहीं मानी हार। जिंदगी में वही आगे बढ़ता है, जो मुसीबतों से लड़कर जीतता है। अलवर की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी चित्रा सिंह की कहानी संघर्ष और हौसले की जीती जागती मिसाल है।

2 min read
Feb 16, 2025

ज्योति शर्मा
Rajasthan News : राजस्थान के इस शहर की लड़की ने नहीं मानी हार। जिंदगी में वही आगे बढ़ता है, जो मुसीबतों से लड़कर जीतता है। अलवर की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी चित्रा सिंह की कहानी संघर्ष और हौसले की मिसाल है। उन्होंने कभी मुश्किलों को खुद पर हावी नहीं होने दिया। जब वह तीन साल की थीं, उनके पिता का निधन हो गया, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। विकट परिस्थितियों में भी चित्रा की मेहनत ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के 12 पदक

चित्रा ने 2008 से 2018 तक ताइक्वांडो-वुशु खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए दो पदक जीते। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने 5 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य पदक हासिल किए। वह लगातार 5 वर्षों तक भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर (इंडिया कैंप) का हिस्सा रहीं। उनकी इस सफलता ने परिवार और समाज में मिसाल कायम की।

खेल पॉलिसी के तहत मिली नौकरी

चित्रा को महिला एवं बाल विकास विभाग और तेजा फाउंडेशन द्वारा 'वीर तेजा पुरस्कार' व 'अलवर गौरव पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। 2017 में वे राजस्थान की 'बेस्ट एनसीसी कैडेट' बनीं और ऑल इंडिया एनसीसी प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त कर प्रधानमंत्री रैली में राज्य का नेतृत्व किया। राज्य सरकार ने उनके उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन को सराहा और 'आउट ऑफ टर्न' खेल पॉलिसी के तहत उन्हें राज्य सेवा में चयनित किया। उनकी यात्रा हर युवा के लिए प्रेरणास्रोत है।

सच्ची मेहनत से सबकुछ पा सकते

चित्रा का कहना है कि अगर इरादे मजबूत हो और सपनों को पूरा करने की लगन हो, तो कोई भी मुश्किल असंभव नहीं होती। मैंने न केवल खेल के मैदान में, बल्कि जीवन के हर पहलू में संघर्ष किया और सफलता भी पाई है। सच्ची मेहनत और समर्पण का कोई विकल्प नहीं।
चित्रा सिंह, ताइक्वांडो खिलाड़ी

Updated on:
16 Feb 2025 10:50 am
Published on:
16 Feb 2025 10:48 am
Also Read
View All

अगली खबर