गाड़ी खरीदते समय ex showroom price vs on road price difference को समझना बेहद जरूरी है। जानिए दोनों कीमतों में क्या फर्क होता है और कौन-सी कीमत आपको वास्तव में चुकानी पड़ती है।
EX Showroom Price vs On Road Price Difference: नई गाड़ी खरीदना हर किसी का सपना होता है। ऐसे में अगर आप भी हाल-फिलहाल में कार/बाइक खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। दरअसल ज्यादातर लोगों को Ex-Showroom Price और On-Road Price में फर्क नहीं पता होता है। हां, उन्हें यह जरूर पता होता है गाड़ी की कीमत पर कुछ टैक्स लगता है। इस खबर में हम इसी बात को आसान भाषा में समझेंगे कि आखिर Ex-Showroom Price कम होता है और ऑन रोड (On Road Price Meaning in Hindi) आते-आते यह कीमत कैसे बढ़ जाती है। साथ ही यह भी जानेंगे कि नई गाड़ी लेते समय स्मार्ट तरीके से आप कैसे बचत कर सकते हैं।
Ex-Showroom Price Means in Hindi: वह कीमत जो डीलर निर्माता से गाड़ी खरीदते समय चुकाते हैं। इसमें गाड़ी की फैक्ट्री कीमत, GST (Goods and Services Tax) और डीलर का मुनाफा शामिल होता है। यह कीमत आमतौर पर गाड़ी के विज्ञापन में दी जाती है।
लेकिन इस कीमत में कुछ जरूरी खर्चे जैसे रजिस्ट्रेशन फीस, रोड टैक्स और इंश्योरेंस शामिल नहीं होते हैं। इन खर्चों के बिना गाड़ी को सड़क पर चलाना कानूनी रूप से संभव नहीं है। इसलिए Ex-Showroom Price गाड़ी की असली कीमत नहीं है।
On-Road Price वह अंतिम कीमत है जो आपको गाड़ी खरीदते समय पूरी चुकानी होती है। इस कीमत में Ex-Showroom Price के साथ-साथ सभी जरूरी सरकारी शुल्क जैसे कि वाहन का रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स और इंश्योरेंस की फीस शामिल होती है। साथ ही अगर आपने कोई अतिरिक्त एक्सेसरीज, वारंटी या सर्विस पैकेज खरीदा है तो उनका खर्च भी इस कीमत में जुड़ जाता है।
On-Road Price ही वह कीमत है जो आपको पूरी गाड़ी रोड पर चलाने के लिए देनी होती है। इसलिए यह हमेशा Ex-Showroom Price से ज्यादा होती है।
रजिस्ट्रेशन शुल्क - भारत में किसी भी गाड़ी को RTO में रजिस्टर करना जरूरी होता है। यह शुल्क राज्य और गाड़ी के टाइप के हिसाब से अलग-अलग होता है। रजिस्ट्रेशन के बिना आप सड़क पर गाड़ी नहीं चला सकते हैं।
रोड टैक्स - रोड टैक्स भी एक अनिवार्य शुल्क है जो गाड़ी के Ex-Showroom Price का एक निश्चित प्रतिशत होता है। यह टैक्स राज्य सरकार लेती है और आमतौर पर 2% से 3% के बीच होता है। यह टैक्स गाड़ी की लाइफ टाइम वैलिडिटी के लिए एक बार ही देना होता है।
इंश्योरेंस - लीगल तौर पर सड़क पर गाड़ी चलाने के लिए कम से कम थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना जरूरी है। इंश्योरेंस का प्रीमियम वाहन की कीमत और कवरेज के आधार पर अलग-अलग होता है। अगर आप अपने डीलर से इंश्योरेंस करवाते हैं तो यह खर्च On-Road Price में जुड़ जाता है।
एक्स्ट्रा एक्सेसरीज और वारंटी - अगर आप गाड़ी के साथ अतिरिक्त सुविधाएं या एक्सेसरी जैसे सीट कवर, floor mats, GPS आदि खरीदते हैं तो उसका खर्च भी On-Road Price में जुड़ जाता है। इसके अलावा एक्सटेंडेड वारंटी लेना भी इस कीमत को बढ़ाता है।
साधारण नंबर प्लेट लें - फैंसी नंबर प्लेट की रजिस्ट्रेशन फीस ज्यादा होती है साधारण नंबर से बचत कर सकते हैं।
जरूरी एक्सेसरीज ही खरीदें - एक्सेसरीज के नाम पर ज्यादा खर्च न करें केवल जरूरी सामान ही लें।
वारंटी और सर्विस पैकेज सावधानी से लें - देखें कि आपको इसकी जरूरत है या नहीं, बेवजह खर्च न करें।
डीलर के डिस्काउंट और त्योहारों पर ऑफर्स - डीलर डिस्काउंट की मांग करें। त्योहारों पर अच्छी छूट मिलती है इसलिए खरीदारी के लिए सही समय का चुनाव करें।