GST Reform: ग्राहकों को कार खरीदने को लेकर तैयार करने के लिए डीलर अपनी ओर से भी अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए न केवल डिस्काउंट ऑफर कर रहे हैं बल्कि फ्री एक्सेसरीज और अन्य ऑफर भी दे रहे हैं।
GST Reform: देश का वाहन उद्योग इस समय भारी उठापटक से गुजर रहा है। नई जीएसटी दरें लागू होने जा रही हैं और इसके प्रभाव को देखते हुए डीलर इन्वेंट्री को खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर छूट की पेशकश कर रहे हैं। खासकर महंगी कारों पर मिलने वाली छूट ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंपनियों और डीलरों के बीच बकाया भुगतान और नए कर ढांचे की वजह से बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है। इस स्थिति का असर न सिर्फ ऑटोमोबाइल बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर भी दिखाई दे रहा है।
नई जीएसटी दरें 21 सितंबर से लागू होनी हैं। इस वजह से डीलर ग्राहकों को लुभाने और पुरानी इन्वेंट्री निकालने के लिए कारों पर भारी छूट दे रहे हैं। डीलरों का कहना है कि उनकी ओर से पहले ही लगभग 4,000 करोड़ रुपये के क्रेडिटेड उपकरण बकाया हैं। इसके बावजूद इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि 22 सितंबर के बाद भी करीब 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बकाया रह जाएगी।
वाहन निर्माताओं की ओर से भी बिक्री बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं। वे ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए 2,500 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक की छूट की पेशकश कर रहे हैं। यही नहीं, कई शोरूम अपने पुराने मॉडल्स को निकालने के लिए अतिरिक्त स्कीम और ऑफर भी चला रहे हैं ताकि नई जीएसटी दरों से पहले स्टॉक खाली किया जा सके।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) का कहना है कि यदि कंपनियों और डीलरों के बीच बकाया भुगतान का समाधान समय पर नहीं निकाला गया तो हजारों करोड़ रुपये का बकाया उपकरण अधर में लटक जाएगा। डीलरों के पास इस समय करीब 6 लाख वाहनों का स्टॉक मौजूद है जो उनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
ग्राहकों को कार खरीदने के लिए तैयार करने के लिए डीलर अपनी ओर से भी अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत वे न सिर्फ कीमतों में 2 से 3 प्रतिशत तक की अतिरिक्त छूट दे रहे हैं बल्कि फ्री एक्सेसरीज और अन्य ऑफर भी दे रहे हैं। इससे ग्राहकों को आकर्षित करने और बाजार में बिक्री बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है।
नई जीएसटी दरों का असर केवल ऑटोमोबाइल उद्योग पर ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर भी पड़ रहा है। दरअसल, दरों में कटौती और श्राद्ध पक्ष के चलते शहरों के मॉल में मौजूद अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर वीरान पड़े हैं। ग्राहक इन स्टोर्स पर आते जरूर हैं लेकिन खरीदारी करने से बच रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर के सेल्समैन बताते हैं कि लोग अभी खरीदारी को टाल रहे हैं क्योंकि वे जीएसटी दरों में बदलाव के बाद कीमतें और गिरने की उम्मीद कर रहे हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक स्टोर के सेल्स सहायक ने कहा कि इस साल खासकर एयर कंडीशनर की बिक्री बेहद धीमी रही है।
नई जीएसटी दरों के लागू होने से पहले बाजार में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव साफ दिखाई दे रहा है। डीलरों और कंपनियों के बीच बकाया भुगतान, इन्वेंट्री निकालने की चुनौती और ग्राहकों की नई दरों का इंतजार जैसी परिस्थितियां उद्योग के लिए मुश्किल खड़ी कर रही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नई जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं।