TCS on Car Purchase: 22 सितंबर के बाद नई कार लेने का प्लान है? उससे पहले जानिए TCS का पूरा गणित और कौन-सी गाड़ियों पर 1% टैक्स देना होगा।
TCS on Car Purchase: अगर आप भी इस फेस्टिव सीजन में नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। हाल ही में भारत सरकार ने कारों पर जीएसटी घटाई है, जिसके कारें अब पहले की तुलना में काफी हद तक सस्ती हो गई हैं। हालांकि कुछ लग्जरी कारों की कीमतों में इजाफा भी हुआ है। ये सभी कीमतें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी। ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि क्या 22 सितंबर से कार खरीदने पर TCS देना पड़ेगा? जीएसटी दरों में बदलाव की वजह से गाड़ियों की कीमतों में फर्क आने वाला है लेकिन TCS का नियम क्या कहता है इसे समझना जरूरी है।
छोटी कारों पर टैक्स अब 28% से घटकर सिर्फ 18% हो जाएगा। मिड-साइज कारों और SUV पर जहां पहले लगभग 43% और 50% टैक्स लगता था, अब यह दर घटकर 40% कर दी गई है। इस बदलाव का सीधा फायदा ग्राहकों को होगा और कारें पहले की तुलना में सस्ती मिलेंगी।
TCS का मतलब Tax Collected at Source होता है। यह कोई अलग टैक्स नहीं है बल्कि सरकार की ओर से लिया जाने वाला एक एडवांस टैक्स है।
जब आप कार खरीदते हैं और उसकी एक्स-शोरूम कीमत 10 लाख रुपये से ज्यादा होती है तो डीलर आपसे 1% TCS वसूलता है।
इस बात को उदाहरण के समझते हैं। अगर आपकी कार की कीमत 15 लाख रुपये है तो आपको 15,000 रुपये TCS के रूप में देने होंगे।
डीलर यह रकम सीधे सरकार के पास जमा करता है। इसके बाद यह राशि आपकी Form 26AS और AIS में दिखाई देती है। जब आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते हैं तो यह TCS की रकम आपकी टैक्स देनदारी में एडजस्ट हो जाती है। अगर आपको अभी और टैक्स देना है तो यह रकम उसमें जुड़ जाएगी। अगर आपने जरूरत से ज्यादा टैक्स भर दिया है तो आपको रिफंड मिल सकता है। हालांकि, TCS की राशि पर आपको कोई ब्याज नहीं मिलता है।
22 सितंबर से जीएसटी दरें घटने के कारण कारें सस्ती मिलेंगी। लेकिन अगर आप 10 लाख रुपये से महंगी कार खरीदते हैं तो 1% TCS देना अनिवार्य होगा। इसलिए कार खरीदने से पहले टैक्स का यह छोटा-सा गणित जरूर समझ लें।