बालोद जिले में एक साल पहले ही स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने 40 बिस्तर का नेत्र अस्पताल बनाया। लेकिन नेत्र अस्पताल इन दिनों शो-पीस बनकर रह गया है। यहां अभी तक उपचार शुरू नहीं हुआ है।
Eye Hospital : बालोद जिले में एक साल पहले ही स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी ने 40 बिस्तर का नेत्र अस्पताल बनाया। लेकिन नेत्र अस्पताल इन दिनों शो-पीस बनकर रह गया है। यहां अभी तक उपचार शुरू नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि टेबल-कुर्सियां नहीं खरीदी गई हैं। इधर स्वास्थ्य विभाग के पास स्पष्ट जवाब नहीं है कि टेबल, कुर्सियां कब तक खरीदी जाएंगी। अस्पताल कब शुरू होगा।
देखा जाए तो नेत्र विभाग जिला अस्पताल के एक कक्ष में चल रहा है। जगह छोटी होने के कारण समस्या आ रही है। जैसे ही नेत्र अस्पताल का संचालन होगा तो स्थिति सुधर जाएगी। उम्मीद है कि नए साल में ही इस नेत्र अस्पताल का संचालन होगा।
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नेत्र रोग विशेषज्ञ सेवानिवृत्त होने के बाद से जिला अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ की कमी थी। यही वजह है कि एक साल से जिला अस्पताल में नेत्र आपरेशन बंद था। नेत्ररोग विशेषज्ञ की भर्ती के बाद से लगातार नेत्र आपरेशन व इलाज हो रहा है। जिला नेत्र विभाग के मुताबिक इस साल जिले भर के 3500 मोतियाबिंद के मरीजों के आपरेशन करने का लक्ष्य है। एनजीओ के माध्यम से लगभग 800 मरीजों का ही मोतियाबिंद का आपरेशन हुआ है। बचे लक्ष्य को पूरा करने नेत्र अस्पताल में मोतियाबिंद का आपरेशन किया जा रहा है।
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नेत्र अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। शासन ने अस्पताल भवन कुल 75 लाख की लागत से बनाया है। अब 25 लाख से फर्नीचर की खरीदी की जाएगी। जनवरी में यहां बेड, कुर्सी सभी उपलब्ध हो जाने की बात विभाग कह रहा है।
जिला अस्पताल में प्रतिदिन नेत्र रोग की जांच कराने मरीज आ रहे हैं। एक ही आपरेशन कक्ष है। इस कक्ष में सभी प्रकार के आपरेशन होते हैं। कई बार किसी कारणवश आपरेशन थिएटर के अंदर संक्रमण हो जाए तो उसे बंद कर दिया जाता है। अलग से नेत्र आपरेशन कक्ष होने से मरीजों को भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरके श्रीमाली ने कहा कि नेत्र रोग विशेषज्ञ की भर्ती हो चुकी है। नेत्र अस्पताल भवन में ही नेत्र संबंधित विभाग का संचालन किया जाएगा, इसकी तैयारी चल रही है। फर्नीचर शिफ्टिंग का कार्य ही बचा हुआ है।