Banswara News : बांसवाड़ा में हर रोज सौ से ज्यादा बच्चे बीमार होकर महात्मा गांधी चिकित्सालय पहुंच रहे हैं। चिकित्सक हैरान हैं। जानें क्या है मामला।
Banswara News : बांसवाड़ा में बीते कुछ दिनों से बुखार ने तेजी से बच्चों को चपेट में लिया है। हर रोज सौ से ज्यादा बच्चे बीमार होकर महात्मा गांधी चिकित्सालय पहुंच रहे हैं। बच्चों का बुखार ज्यादा तकलीफदेह बन गया है, क्योंकि पहले तीन-चार दिन में ठीक हो जाता था, अब 10 दिन तक खिंच रहा है। चिकित्सकों की मानें तो प्रथम दृष्टया वायरस का म्यूटेशन हुआ है। बच्चों को ज्यादा दिनों तक दवा खिलानी पड़ रही है। हालांकि म्यूटेशन की कोई रिसर्च रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
सामान्यतौर पर होली के आस-पास चिकन पॉक्स के केस देखने को मिलते हैं, लेकिन अभी ठंड के मौसम में भी बच्चों में ऐसे केस सामने आ रहे हैं। चिकन पॉक्स के मामले अभी आने से चिकित्सक भी हैरान हैं।
चिकित्सक बताते हैं कि अभी बच्चों में सर्दी, जुकाम और बुखार के केस आ रहे हैं। तीन प्रमुख कारण हैं, जिनमें बच्चों को अनावश्यक घर से बाहर या दूर लेकर जाना, बच्चे की इम्युनिटी कम होने के कारण बच्चे को जल्द सर्दी और जुकाम की चपेट में आना और सर्दी में बच्चों को अच्छे गर्म कपड़े न पहनाना, बीमारी के शुरूआती दौर में अनदेखी करना अहम हैं।
देखने में आ रहा है कि बच्चों का बुखार जो पहले 3 से चार दिन में ठीक हो जाता था, उसके लिए 7 से 10 दिन तक दवा देनी पड़ रही है। अभिभावकों को एहतियात बरतना जरूरी है। बच्चों को लेकर अनावश्यक भ्रमण करना, खान-पान का ध्यान न रखना, गर्म कपड़ों का उपयोग जरूरी है, ताकि बच्चों को सर्दी, जुकाम और बुखार के संक्रमण से बचाया जा सके।
डॉ . प्रद्युम्न जैन, शिशु रोग विशेषज्ञ, एमजी अस्पताल, बांसवाड़ा
सामान्य दिनों के सर्दी, जुकाम और बुखार का इन्फ्लुएंजा वायरस दवाओं के असर से खुद को बचाने के लिए म्यूटेट होता रहता है। इससे लक्षण भी बदलते हैं।
डॉ. गौरव सराफ, माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट, एमजी अस्पताल बांसवाड़ा
7 जनवरी 134
8 जनवरी 123
9 जनवरी 156
10 जनवरी 115
11 जनवरी 117
12 जनवरी 53
13 जनवरी 142
14 जनवरी 50
16 जनवरी 150
17 जनवरी 103 (दोपहर 1 बजे तक)
(एमजी अस्पताल से प्राप्त आंकड़े)।
1- बच्चे को आराम कराएं
2- पानी पिलाएं, बुखार के दौरान शरीर में पानी की कमी हो सकती है
3- स्वच्छता बनाए रखें
4- गर्म पानी (गुनगुने) से नहलाएं
5- डॉक्टर की सलाह पर दवाएं दें
6- हल्का और पौष्टिक खाना खिलाएं
7- नियमित तापमान जांच
(चिकित्सकों से परामर्श जरूरी)।