साल 2020 में करंट की चपेट में आने पर हीर सिंह के दोनों हाथों के पंजे एवं एक कान काटना पड़ा। दोनों हाथ कटने के बाद हीर सिंह ने किस्मत को कोसे बिना संघर्ष की राह चुनी और पढ़ाई को जरिया बनाया।
चौहटन: हाथ की लकीरों के भरोसे बैठे लोगों के लिए बाड़मेर जिले के कापराऊ गांव के दिव्यांग हीर सिंह तंवर मिसाल हैं। हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अपनी तकदीर मेहनत कर खुद लिखी।
पहले शिक्षक बने और फिर पहले ही प्रयास में आरएएस 2023 में चयनित हुआ है। फरवरी 2020 में करंट की चपेट में आने पर हीर सिंह के दोनों हाथों के पंजे एवं एक कान काटना पड़ा। दोनों हाथ कटने के बाद हीर सिंह ने किस्मत को कोसे बिना संघर्ष की राह चुनी और पढ़ाई को जरिया बनाया।
उन्होंने परिस्थिति को संघर्ष में बदलकर पीटीईटी का आवेदन किया तो सरकार ने उन्हें श्रुति लेखक देने से मना कर दिया। लोग कहते रहे कि क्यों भटक कर गरीब परिवार पर खर्चे का बोझ बन रहे हो, लेकिन न्यायालय की शरण लेने पर उसे श्रुति लेखक मिला तथा शिक्षक प्रशिक्षण प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होकर बीएड कर ली।
हादसे के तीन साल के संघर्ष के बाद 2023 में हीर सिंह तृतीय श्रेणी शिक्षक बन गया। उसने यहीं पर अपने जीवन के संघर्ष को विराम नहीं दिया। आरएएस भर्ती 2023 के लिए आवेदन कर फिर से नई तैयारी शुरू कर दी। पहले ही प्रयास में हीर सिंह ने आरएएस भर्ती के सभी चरण सफलता से पार कर सफलता हासिल की।
हीर सिंह को आरएएस भर्ती 2024 में भी प्री एवं मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार के लिए बुलावा आया हुआ है। हालांकि, उन्हें परिणाम में कोई रैंक नहीं दी गई है, उन्होंने बताया कि दिव्यांग अभ्यर्थियों को आरपीएससी द्वारा अलग से रैंक दी जाएगी।
हीर सिंह के पिता नारायण सिंह खेतीबाड़ी करते थे, लेकिन अब वे भी बीमारी के चलते बिस्तर पर हैं। उसका बड़ा भाई जोगराज सिंह वाहन चालक हैं। जोगराज सिंह ने भाई के इलाज, पढ़ाई और परिवार के भरण-पोषण के लिए दस लाख का कर्जा लिया। उसने ही हीर सिंह को अच्छी पढ़ाई के लिए हौंसला और सहारा दिया।