गुड़ामालानी में किसानों की 11 सूत्रीय मांगों को लेकर एसडीएम केशव कुमार मीना और प्रधान बिजलाराम चौहान के बीच तीखी बहस हो गई। किसानों ने दो साल से लंबित मामलों और आदान-अनुदान राशि पर कार्रवाई न होने का आरोप लगाया।
गुड़ामालानी (बाड़मेर): जिला मुख्यालय पर शुक्रवार को एसडीएम केशव कुमार मीना और भाजपा प्रधान बिजलाराम चौहान के बीच उस समय माहौल गरमा गया, जब किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसान फसल बीमा क्लेम, बिजली समस्या सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन देने पहुंचे। ज्ञापन के दौरान शुरू हुई चर्चा देखते ही देखते तीखी बहस में बदल गई।
बता दें कि प्रधान बिजलाराम ने आरोप लगाया कि उनकी पंचायत समिति में बात नहीं सुनी जाती। उन्होंने कहा, मेरी पंचायत में चमचे और एजेंट बैठा रखे हैं, मेरी कोई सुनवाई नहीं होती। इस पर एसडीएम भड़क उठे और जवाब दिया, अगर बात नहीं मानते तो इस्तीफा दे दो।
मौके पर उपस्थित किसानों ने एसडीएम कार्यालय के बाहर धरना भी दिया। करीब दो घंटे चली बहस के बाद भी समाधान नहीं निकल सका। किसानों का कहना था कि वे सिर्फ स्पष्ट जवाब चाहते हैं, जबकि एसडीएम का कहना था कि वे अपनी क्षमता के भीतर पूरा काम कर रहे हैं और किसी को गुमराह नहीं किया।
प्रधान ने एसडीएम पर कार्रवाई की बजाय आश्वासन देने और जवाब नहीं देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कई बार पत्र देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती। जवाब में एसडीएम ने कहा कि वे अपनी क्षमता के भीतर ही काम कर सकते हैं। एसडीएम ने कहा, आप कहो आसमान के तारे तोड़ लाओ, तो मैं कहां से लाकर दूंगा। जो मेरे हाथ में है, वही कर सकता हूं। आपकी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए 50 से ज्यादा पत्र लिख चुका हूं।
विवाद इतना बढ़ा कि किसान भी खुलकर एसडीएम पर भड़क गए। किसान पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि दो साल से पैमाइश और जमीन से जुड़े मामलों में समाधान नहीं हो रहा। नर्मदा के पानी की सप्लाई और अन्य कार्य रुके पड़े हैं। किसानों ने कहा कि यहां की पूरी सरकार आप ही हो, आपकी कौन सी क्षमता नहीं है।
एसडीएम ने जवाब दिया कि सभी समस्याओं के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि कई विभागीय काम उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। किसान संघ पदाधिकारी लगातार सवालों का दबाव बनाते रहे कि यदि कई काम एसडीएम के अधिकार में नहीं आते तो पहले ही स्पष्ट क्यों नहीं किया गया।
सबसे ज्यादा विवाद आदान-अनुदान राशि को लेकर हुआ। किसानों ने आरोप लगाया कि दीपावली से पहले 15 दिन में राशि स्वीकृत करने का आश्वासन दिया था, पर दो माह बाद भी राशि नहीं आई। इस पर एसडीएम ने कहा कि फाइलें ऊपर स्तर पर पेंडिंग रही हैं और वह अपनी ओर से पूरा पत्राचार कर चुके हैं।