MP News: जिस आदमपुर छावनी को शहर के कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन का मॉडल बनना था, वह पिछले आठ साल में विफल प्रयोगों की एक कहानी बन गई है। इससे शहर पर मंडराता मीथेन गैस विस्फोट का खतरा बढ़ गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हाल ही में इस मामले में टिप्पणी की है।
शिवाशीष तिवारी
MP News: जिस आदमपुर छावनी को शहर के कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन का मॉडल बनना था, वह पिछले आठ साल में विफल प्रयोगों की एक कहानी बन गई है। इससे कचरे का एक विशाल पहाड़ और भोपाल शहर पर मंडराता मीथेन गैस विस्फोट का खतरा, जैसा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हाल ही में टिप्पणी की है। नगर निगम ने इस संकट से निपटने के लिए अब 8 माह का लक्ष्य रखा है। इसके तहत 6 लाख टन पुराने कचरे (लीगेसी वेस्ट) को साफ किया जाएगा और प्रतिदिन आने वाले 850 टन कचरे के लिए नए सिरे से टेंडर जारी किया है।
आदमपुर में सेग्रीगेशन, बायो-रिकवरी और इनर्ट वेस्ट को साइंटिफिक लैंडफिल में दफनाने की प्रक्रिया समानांतर चले। खंती को केवल उठाने' की बजाय कचरे की आंतरिक संरचना का मूल्यांकन किया जाए। मीथेन जैसी गैसों के रिसाव होने से पहले मॉनिटरिंग सिस्टम जरूरी है।- डॉ. गौरव वैद्य, अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट