Bilaspur High Court: बिलासपुर प्रदेश में साइबर एक्सपर्ट नहीं होने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य शासन दोनों से साफ कहा कि आप अगली सुनवाई से पहले हर हाल में नियुक्ति करें।
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर प्रदेश में साइबर एक्सपर्ट नहीं होने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य शासन दोनों से साफ कहा कि आप अगली सुनवाई से पहले हर हाल में नियुक्ति करें। अगली सुनवाई 13 जुलाई को तय की गई है।
प्रदेश में साइबर अपराध के प्रकरणों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई विशेषज्ञ नहीं होने को लेकर शिरीन मालेवर ने अधिवक्ता रुद्र प्रताप दुबे और गौतम खेत्रपाल के माध्यम से याचिका दायर की है। पहले हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि देश भर में 16 जगह पर एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है। यह नियुक्ति केंद्र सरकार के द्वारा की जाती है।
फिलहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में किसी एक्सपर्ट की नियुक्ति नहीं हुई है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि आईटी अधिनियम राज्य के लिए धारा 79 के तहत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का कोई परीक्षक नहीं है, इस पद पर नियुक्ति की जाए। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है। साइबर अपराध हो रहे हैं, इसलिए ऐसे एक्सपर्ट की नियुक्ति बहुत जरूरी है। गंभीरता को समझकर तत्काल निर्णय लें।
बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन के साथ ही केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य के अनुरोध पर, भारत संघ की एक टीम ने साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला का निरीक्षण किया और उन्होंने कुछ कमियां बताईं थी। टीम द्वारा बताई गई कमियों को दूर कर दिया गया है और केंद्र से अनुरोध किया गया है।
केंद्र के वकील रमाकांत मिश्रा ने कहा कि एक के बाद एक तीन चरणों को पूरा कर ही सायबर विशेषज्ञ की नियुक्ति की जा सकती है। इस पर चीफ जस्टिस ने केंद्र व राज्य सरकार दोनों से कहा कि, इस मामले की गंभीरता को समझकर तत्काल निर्णय लिया जाए।