Bollywood Actress Vimi: बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया के पीछे छिपी एक कड़वी सच्चाई सामने आई है। एक ऐसी एक्ट्रेस, जिसने रईसी में अपना बचपन बिताया, फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाई, लेकिन हालात ऐसे बिगड़े कि उसे वेश्यावृत्ति का रास्ता अपनाना पड़ा। यह कहानी फिल्मी दुनिया की 'गंदी' सच्चाई को उजागर करती है…
Bollywood Actress Vimi: बॉलीवुड, जहां चमक-दमक और शोहरत की चकाचौंध हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है, वहीं इस चकाचौंध के पीछे कई ऐसी दर्दनाक कहानियां छिपी हैं, जो किसी को भी झकझोर कर रख सकती हैं। ऐसी ही एक कहानी है एक्ट्रेस विमी की, जिनका जीवन रईसी से शुरू होकर गुमनामी और दुखद अंत तक पहुंचा।
साल 1943 में जन्मीं विमी गायिका बनना चाहती थीं, लेकिन बाद में उन्होंने एक्टिंग को चुना। परिवार इस फैसले के खिलाफ था, जिसके कारण उन्हें अपने परिवार से दूर होना पड़ा। विमी ने अकेले ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने का फैसला किया। वे एक आत्मनिर्भर महिला थीं, जो पाली हिल के एक बंगले में रहती थीं, गोल्फ खेलती थीं और तेज रफ्तार से कार चलाती थीं।
1968 में फिल्म 'हमराज' की सफलता ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और लगने लगा था कि वे अपनी पीढ़ी की बड़ी अभिनेत्रियों में से एक बन जाएंगी। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, अचानक उन्हें कोलकाता जाना पड़ा, जहां वे शराब की लत में उलझ गईं और 34 साल की उम्र में उनका असामयिक निधन हो गया।
बता दें कि विमी की शादी कोलकाता के व्यवसायी शिव अग्रवाल से हुई थी। शिव के परिवार ने विमी के फिल्मों में काम करने के फैसले के कारण उन्हें अपनी विरासत से बेदखल कर दिया था। साथ ही 1968 के एक इंटरव्यू में विमी ने बताया था कि उनके पति उनके लिए फिल्म बनाना चाहते थे और उन्होंने 'हमराज' की सफलता के बाद तीन फिल्में साइन भी की थीं, लेकिन शिव ने उन्हें छोड़ दिया। इसके बाद विमी के पहले निर्देशक बीआर चोपड़ा ने उन्हें बुद्धिमान और समझदार बताया था, लेकिन इसके बाद उन्होंने उन्हें कोई और फिल्म नहीं दी। 'हमराज' के बाद उनकी कोई भी फिल्म सफल नहीं हुई और धीरे-धीरे वे गुमनामी के अंधेरे में खो गईं।
फिर 1977 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी जिंदगी की दुखद सच्चाई सामने आई। उनकी शादी टूटने का कारण उनके माता-पिता थे, जिन्होंने उन्हें छोड़ दिया था। इसके बाद वे जॉली नाम के एक व्यक्ति के साथ रहने लगीं, इस उम्मीद में कि इससे उनका करियर सुधरेगा।
इस पर कहा जाता है कि जॉली ने विमी को जबरदस्ती वेश्यावृत्ति में धकेल दिया, जो उनके करियर को संभालने का आखिरी रास्ता माना गया। विमी टूट चुकी थीं और सस्ती शराब पीने लगीं। 1977 में लीवर की बीमारी के कारण उनका निधन नानावटी अस्पताल में हो गया। जॉली ने उनका अंतिम संस्कार तो किया, लेकिन उनकी लाश को श्मशान घाट पर ठेले से पहुंचाया गया।
फिल्म इंडस्ट्री से कोई भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ, हालांकि, सुनील दत्त वहां मौजूद थे। उनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें अपमान से नहीं बचाया जा सका। उनके एक दोस्त कृष्णा ने एक शोक संदेश में कहा कि उनकी मौत उनके लिए एक बड़ी राहत थी। विमी की कहानी बॉलीवुड के चकाचौंध के पीछे छिपे काले सच को उजागर करती है और ये बताती है कि शोहरत और सफलता के बावजूद, जिंदगी कितनी मुश्किल हो सकती है।
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