लक्ष्मी के पति रामचंद्र की कुछ साल बाद बीमारी से मौत हो गई। ऐसे में लक्ष्मी अपने बुजुर्ग पिता के पास ही रुक गई। लक्ष्मी के बच्चे पूजा (12), नीमा (11), आरती (10), भैरू (9), गीता (8) और सूरज (5) हैं।
बूंदी के सुवासा गांव की लक्ष्मी भील 6 बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए दर-दर भटक रही है। दरअसल पति की मौत के बाद पिता के पास रह रही लक्ष्मी के पास न तो राशन कार्ड है और न ही आधार कार्ड। बच्चों का जन्म प्रमाण-पत्र भी नहीं बना है। उसने कई बार ये दस्तावेज बनवाने की कोशिश की लेकिन कागजी अड़चनों के चलते दस्तावेज नहीं बने।
जानकारी के अनुसार लक्ष्मी के पति रामचंद्र की कुछ साल बाद बीमारी से मौत हो गई। ऐसे में लक्ष्मी अपने बुजुर्ग पिता के पास ही रुक गई। लक्ष्मी के बच्चे पूजा (12), नीमा (11), आरती (10), भैरू (9), गीता (8) और सूरज (5) हैं।
तालेड़ा के विकास अधिकारी नीता पारीक का कहना है कि प्रमाण पत्र क्यों नहीं बने इसकी जानकारी लेंगे। जल्दी ही इनके दस्तावेज बनाने का प्रयास किया जाएगा।
सुवासा के ग्राम विकास अधिकारी दुर्गा शंकर तंवर का कहना है कि यह महिला हमारे पास कभी नहीं आई। पहले प्रमाण-पत्र, कार्ड ऑफलाइन बनते थे, लेकिन अब सभी ऑनलाइन ई-मित्र पर आवेदन करने के बाद बनते हैं। हमारे साइन की जहां पर आवश्यकता होगी, साइन कर दिए जाएंगे। हमसे जो मदद मांगी जाएगी वह पूरी कर दी जाएगी।
आधार और राशन कार्ड नहीं होने से लक्ष्मी को विधवा पेंशन, पालनहार, खाद्य सुरक्षा और आवास योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा।