इनकम टैक्स रिटर्न में हुई गलती होने पर टैक्स कानून आपको Revised ITR और Updated ITR के जरिए सुधार का मौका देता है, लेकिन सही विकल्प चुनना बेहद जरूरी है वरना अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ सकता है।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय छोटी-सी गलती भी आगे चलकर बड़ी परेशानी बन सकती है। कई बार रिटर्न फाइल करने के बाद पता चलता है कि कोई आय छूट गई, गलत जानकारी चली गई या कोई जरूरी डिडक्शन शामिल नहीं हो पाया। ऐसे मामलों के लिए इनकम टैक्स कानून टैक्सपेयर्स को रिवाइज्ड आईटीआर और अपडेटेड आईटीआर फाइल करने के दो रास्ते देता है। मिलते-जुलते नाम होने के बावजूद दोनों के नियम और समयसीमा बिल्कुल अलग हैं।
अगर आपने समय पर ITR फाइल कर दिया है लेकिन उसमें कोई गलती रह गई है, तो आप इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139(5) के तहत रिवाइज्ड आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करने की अंतिम तारीख असेसमेंट ईयर की 31 दिसंबर होती है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए रिवाइज्ड आईटीआर 31 दिसंबर 2025 तक दाखिल किया जा सकता है।
अगर आप रिवाइज्ड आईटीआर की डेडलाइन से चूक गए हैं या आपने रिटर्न ही फाइल नहीं किया था, तो धारा 139(8A) के तहत आपके पास अपडेटेड आईटीआर फाइल करने का विकल्प होता है। अपडेटेड आईटीआर को असेसमेंट ईयर के खत्म होने के बाद 48 महीने, यानी 4 साल तक फाइल किया जा सकता है। जैसे, वित्त वर्ष 2023-24 (AY 2024-25) के लिए अपडेटेड आईटीआर 31 मार्च 2029 तक फाइल की जा सकती है। हालांकि इसमें 25% से 50% तक अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता है।
रिवाइज्ड आईटीआर तभी फाइल किया जा सकता है जब आपने पहले से रिटर्न फाइल किया हो, जबकि अपडेटेड आईटीआर उस स्थिति में भी दाखिल किया जा सकता है जब रिटर्न पहले कभी फाइल ही नहीं किया गया हो।
रिवाइज्ड आईटीआर गलती सुधारने के लिए होता है और इसमें कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगता, जबकि अपडेटेड आईटीआर का इस्तेमाल छूटी हुई आय या टैक्स देनदारी दिखाने के लिए किया जाता है और इसमें अतिरिक्त टैक्स देना अनिवार्य होता है।
रिवाइज्ड आईटीआर एक से ज्यादा बार फाइल किया जा सकता है, लेकिन अपडेटेड आईटीआर आमतौर पर एक ही बार दाखिल करने की अनुमति होती है।
अगर आप 31 दिसंबर की रिवाइज्ड आईटीआर डेडलाइन चूक जाते हैं, तो बाद में सिर्फ अपडेटेड आईटीआर ही विकल्प बचता है, जिसमें अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता है। इसलिए समय रहते सही विकल्प चुनना न सिर्फ पैसे बचाता है, बल्कि भविष्य की टैक्स नोटिस और जांच से भी राहत देता है।