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अमेरिकियों को हजारों नौकरियों के अवसर मिल रहे, जानें टेक इंडस्ट्री में कैसे आया भूचाल

H1-B Visa Fee Increase: H1B वीज़ा शुल्क बढ़ने से अमेरिकी टेक इंडस्ट्री में नौकरी की प्रतिस्पर्धा में बड़ा बदलाव आया है।

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Sep 23, 2025
जॉब। (Image Source: Chatgpt)

H1-B Visa Fee Increase: अमेरिका में H1B वीज़ा (H1B Visa Fee) के लिए लगभग 83 लाख रुपये की नई शुल्क नीति ने टेक इंडस्ट्री में भूचाल ला दिया है। इस फैसले के बाद भारतीय और अन्य विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में नौकरी पाना (US Job Market) और भी मुश्किल हो सकता है। वहीं, स्थानीय अमेरिकी युवाओं के लिए यह एक बड़ा मौका बन कर उभरा है। इससे पहले व्हाइट हाउस ने एक तथ्य पत्र में कहा है कि कई अमेरिकी कंपनियों ने अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों की छंटनी की और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त किया। एक कंपनी ने FY 2025 में 5,189 H-1B वीज़ा स्वीकृत किए, जबकि लगभग 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की। एक अन्य कंपनी ने 1,698 H-1B स्वीकृत किए, फिर जुलाई में ओरेगन में 2,400 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की। तीसरी कंपनी ने 2022 से 2025 तक 27,000 अमेरिकी नौकरियों में कमी की, जबकि 25,075 H-1B स्वीकृत किए। एक और कंपनी ने फरवरी में 1,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की, जबकि 1,137 H-1B स्वीकृत किए। अमेरिकी आईटी कर्मचारियों को उनके विदेशी प्रतिस्थापन को प्रशिक्षित करने के लिए भी कहा गया। पूर्व मेटा कर्मचारी (Indian Tech Workers) और वर्तमान में एक डेटा एनालिटिक्स कंपनी के संस्थापक ज़ैक विल्सन ने इस मुद्दे पर अपनी बात खुल कर रखी है। उन्होंने कहा कि नए वीज़ा शुल्क (Visa Fee Increase) ने टेक जॉब मार्केट की प्रतिस्पर्धा को पूरी तरह से बदल दिया है।

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15 लाख डॉलर तक का खर्च

विल्सन ने लिखा, “जब मैं 2017 में मेटा (Meta) में था, तब मेरी 17 लोगों की टीम में से 15 लोग H1B वीज़ा पर थे। मैं सिर्फ दो अमेरिकियों में से एक था। अब इन्हीं जैसी टीमों के लिए केवल वीज़ा शुल्क में ही 15 लाख डॉलर तक का खर्च आ सकता है।”

एक ही रात में हट गए लोग

उन्होंने कहा, “अगर आप एक अमेरिकी हैं और टेक जॉब की तलाश में हैं, तो यह आपके लिए सबसे सही समय है। 80% से अधिक प्रतिस्पर्धी एक ही रात में हट गए हैं।”

सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया

ज़ैक की पोस्ट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लाखों बार देखा जा चुका है। यूजर्स इस पर जम कर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। एक यूजर ने कहा, "यह पहली बार है जब अमेरिकी स्नातकों को उचित अवसर मिला है।"

ज़्यादातर स्टार्टअप विदेशी टेलेंट पर निर्भर

वहीं, दूसरे यूजर ने लिखा, "इस नीति से नवाचार रुक सकता है क्योंकि ज़्यादातर स्टार्टअप विदेशी टेलेंट पर निर्भर हैं।"
एक और प्रतिक्रिया थी: "कंपनियां अब काम भारत या अन्य देशों में आउटसोर्स कर देंगी।"

कुछ ने बताया 'राजनीतिक कदम'

हालांकि, सभी लोग इस फैसले से सहमत नहीं हैं। एक यूजर ने लिखा, "यह एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि चुनावी स्टंट लगता है।" दूसरे ने कहा, "यह नियम लंबे समय तक नहीं चलेगा, अगले चुनाव के बाद शायद बदल जाए।"

व्हाइट हाउस ने दी सफाई

इस फीस को लेकर शुरुआत में काफी भ्रम की स्थिति बनी रही थी। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इसे संभावित 'वार्षिक शुल्क' बताया था। हालांकि, बाद में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक बार लगने वाली याचिका फीस है, न कि हर साल लिया जाने वाला शुल्क।

भारी शुल्क से छूट भी दी जा सकती है

सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि कुछ विशेष मामलों में, यदि वीज़ा आवेदन को 'राष्ट्रीय हित' से जुड़ा माना जाए, तो इस भारी शुल्क से छूट भी दी जा सकती है।

अमेरिकी टेक जॉब मार्केट में बड़े बदलाव की शुरुआत

बहरहाल H1B वीज़ा पर 83 लाख रुपये शुल्क ने अमेरिकी टेक जॉब मार्केट में बड़े बदलाव की शुरुआत कर दी है। इससे जहां अमेरिकियों को अधिक मौके मिल सकते हैं, वहीं विदेशी प्रतिभाओं के लिए यह एक नई चुनौती बन गई है। टेक इंडस्ट्री इस बदलाव को कैसे संभालती है, यह देखना अभी बाकी है।

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