Chittorgarh News: यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे समाज में युवा पीढ़ी की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को सही तरीके से समझा जा रहा है।
Chittorgarh News: कपासन।तीन दिन पहले ही हॉस्टल में रहने आए एक छात्र ने आरएनटी कॉलेज के बॉयज हॉस्टल में शुक्रवार रात फंदा लगा आत्महत्या कर ली। पुलिस को उसके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। पुलिस ने मृतक छात्र के पिता की रिपोर्ट पर संदिग्धवस्था में मृत्यु का प्रकरण दर्ज किया है।
पुलिस के अनुसार कपासन स्थित आरएनटी कृषि कॉलेज में प्रथम वर्ष कृषि स्नातक में अध्यनरत अजमेर जिले के पुष्कर थाना अंतर्गत मोतीसर निवासी राहुल सिंह रावत (20) पुत्र बीरम सिंह हॉस्टल के कमरा नंबर 309 में रहता था था। राहुल का रूममेट शुक्रवार शाम साढ़े 5 बजे खेलने को चला गया। शाम साढ़े 7 बजे वह वापस कमरे में आया तो कमरे का गेट अंदर से बंद था।
आवाज लगाने पर भी गेट नहीं खोला। इस पर हॉस्टल वार्डन ने कुंदी तोड़कर गेट खोला। अंदर पंखे से फंदा लगाकर राहुल का शव लटकता हुआ मिला। कॉलेज प्रबंधन की सूचना पर पुलिस उप अधीक्षक कपासन अनिल सारण, थाना अधिकारी रतन सिंह, तहसीलदार जगदीश बामनिया आदि मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव स्थानीय उप जिला चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया।
मृतक छात्र के पिता परिजन के साथ कपासन आए। पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने शनिवार को संदिग्धवस्था में आकस्मिक मृत्यु का प्रकरण दर्ज कर लिया है। तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा शव परिजन को सौंप दिया गया।
छात्र के पास से मिले पत्र में ‘आई लव माई मम्मी पापा, मेरे प्यारे मम्मी पापा मुझको माफ कर देना, इस जन्म में आपका नहीं हो सका, आप ने मेरे लिए बहुत कुछ किया, बट में आपके लिए कुछ भी नहीं कर सका, आई रियली सॉरी मम्मी-पापा, पापा भाई बहन और मम्मी का ख्याल रखना’ लिखा है।
उल्लेखनीय है कि छात्र ने 10 सितम्बर को कॉलेज में एडमिशन लिया था। इसके बाद 18 सितम्बर को वह हॉस्टल आया था। छात्र की आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है। मृतक छात्र का एक पत्र भी पुलिस ने बरामद किया है।
कपासन के एक कॉलेज में 20 वर्षीय छात्र की आत्महत्या ने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे समाज में युवा पीढ़ी की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को सही तरीके से समझा जा रहा है।
इससे यह साफ होता है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को समझना और उन पर बातचीत करना कितना आवश्यक है। हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता की कमी है। लोग अक्सर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते और इसे कमजोरी के रूप में देखते हैं।
ऐसे में, युवाओं को अपनी भावनाओं के बारे में खुलकर बात करने का अवसर नहीं मिलता। छात्रों पर शिक्षण और करियर संबंधी दबाव इतना अधिक होता है कि वे अक्सर अकेलेपन और तनाव का सामना करते हैं। इस घटना को ध्यान में रखते हुए, हमें एक नई दिशा में सोचना होगा। स्कूलों और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए इसी तरह हम ऐसे दुखद मामलों को रोक सकते हैं और युवा पीढ़ी को एक स्वस्थ मानसिक वातावरण प्रदान कर सकते हैं।