Manoj Tiwary on Team India: पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने भारतीय टीम में पक्षपात और स्टार संस्कृति पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ कप्तान अपने जोन के खिलाड़ियों को ही तरजीह देते हैं।
Manoj Tiwary on Team India: पूर्व भारतीय बल्लेबाज मनोज तिवारी ने भारतीय क्रिकेट टीम में पक्षपात और स्टार संस्कृति पर निशाना साधा है। जब गौतम गंभीर ने मुख्य कोच का पद संभाला था, तब उन्होंने ड्रेसिंग रूम से स्टार संस्कृति को खत्म करने का संकल्प लिया था। तब से भारत ने टेस्ट क्रिकेट में विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारा को संन्यास लेते देखा है। केकेआर में गंभीर के साथ खेल चुके तिवारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय क्रिकेट में स्टार संस्कृति से ज्यादा पक्षपात व्याप्त है।
मनोज तिवारी ने क्रिकट्रैकर के साथ एक इंटरव्यू में भारतीय ड्रेसिंग रूम की संस्कृति पर खुलकर बात की। बंगाल के अपने पूर्व साथी उत्पल चटर्जी का उदाहरण देते हुए तिवारी ने अफसोस जताया कि केवल कप्तान के पसंदीदा खिलाड़ी ही भारतीय टीम में जगह बनाते हैं। चटर्जी ने बंगाल के लिए 500 से ज़्यादा प्रथम श्रेणी विकेट लिए। जबकि वह भारत के लिए केवल 3 एकदिवसीय मैच ही खेल सके।
तिवारी ने कहा कि जैसा कि मैंने पहले कहा था कि भारतीय क्रिकेट में पसंद-नापसंद काफी ज्यादा है। यह अभी नहीं, बल्कि लंबे समय से है। अगर कोई कप्तान किसी खास क्षेत्र से है तो वह अपने क्षेत्र के खिलाड़ियों को प्राथमिकता देता है। कुछ कप्तान ऐसे भी होते हैं, जो हमेशा दूसरे क्षेत्र के खिलाड़ियों की बजाय अपने राज्य के खिलाड़ियों को प्राथमिकता देते हैं।
तिवारी का ये इंटरव्यू एशिया कप 2025 के लिए भारतीय टीम की घोषणा के बाद आया है। यशस्वी जायसवाल और श्रेयस अय्यर टूर्नामेंट के लिए चुनी गई 15 सदस्यीय टीम में शामिल नहीं किए गए प्रमुख नाम थे। वहीं, रिंकू सिंह और हर्षित राणा के चयन ने लोगों को चौंका दिया, क्योंकि गंभीर भारतीय टीम में आने से पहले केकेआर में इन दोनों को कोचिंग दे चुके थे। हालांकि तिवारी ने नाम न लेने की सावधानी बरती। लेकिन, उनका मानना है कि सोशल मीडिया कुछ हद तक इस पक्षपात को कम कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि क्रिकेट फैंस सोशल मीडिया या लाइव मैच में खुद ही सब कुछ देख सकते हैं। इसलिए सभी को इस समीकरण से बाहर रखना मुश्किल है। यही आधुनिक क्रिकेटरों के पास एक फायदा है। एक बार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें पूरा यकीन होता है कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा। मीडिया और खिलाड़ियों का व्यक्तिगत जनसंपर्क बहुत मजबूत है। इसके अलावा सोशल मीडिया भी है और क्रिकेट फैंस उनके प्रदर्शन को उजागर करने के लिए मौजूद हैं।