IPL Auction 2026: ऑक्शन इसलिए किया जाता है ताकि सभी टीम में हर तरह के खिलाड़ी शामिल हो और खिलाड़ियों की बढ़ती-घटती कीमतों के अनुसार टीमों के मालिक उन्हें चुन सकें।
IPL 2026 Auction: IPL (इंडियन प्रीमियर लीग) के आने वाले सीजन के लिए खिलाड़ियों की नीलामी शुरू हो गई है। अबू धाबी के एतिहाद एरिना में चल रहे इस मिनी ऑक्शन में 360 से ज्यादा क्रिकेटर्स पर बोली लगाई जा रही है। इनमें से 40 ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनका शुरुआती प्राइस 2 करोड़ रुपये है। इसके अलावा 227 खिलाड़ियों की 30 लाख रुपये के बेस प्राइज पर बोली लगेगी। इसकी शुरुआत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर कैमरन ग्रीन IPL के इतिहास के तीसरे सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए हैं। उन्हें Kolkata Knight Riders ने 25.20 करोड़ रुपये में खरीदा है।
हर साल IPL से पहले इसी तरह खिलाड़ियों की बोली लगाई जाती है और अलग-अलग टीमें उन्हें खरीदती है। लेकिन सवाल यह है कि IPL में खिलाड़ियों का ऑक्शन क्यों किया जाता है। इतने बड़े स्तर पर ऑक्शन आयोजित करने की जगह एक डिब्बे में खिलाड़ियों के नाम की चिट रखकर उसमें से सभी टीमों के मालिक एक-एक करके चिट निकालकर अपनी टीम क्यों नहीं तैयार करते। इसके साथ ही यह सवाल भी सामने आता है कि यह ऑक्शन हर साल क्यों आयोजित किए जाते हैं। क्यों नहीं एक बार खिलाड़ियों की बोली लगा कर उन्हें टीमों में बांट दिया जाए और वह हर साल उसी टीम के साथ खेलें।
कार्यक्रम आयोजित कर खिलाड़ियों की बोली लगाने की वजह यह है कि अगर चिट उठाने की प्रक्रिया में किसी एक टीम में ही सभी मजबूत खिलाड़ी चले जाते हैं तो वह टीम काफी दमदार हो जाएगी जिसकी जीत लगभग निश्चित होगी। इसी तरह अगर एक टीम में सभी कमजोर प्लेयर शामिल हो जाते है तो टीम को अच्छा परफॉर्म करने में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह अगर सभी बल्लेबाज एक ही टीम में आ जाए तो उस टीम को बॉलिंग करने में भारी समस्या होगी और अगर सिर्फ अच्छे बॉलर्स ही एक टीम में आ गए तो वह बल्लेबाजी के दौरान अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। ऐसे में ऑक्शन की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सभी टीमों में हर तरह के खिलाड़ी शामिल हो और टीमों के मालिक अपने बजट के अनुसार टीमें तैयार कर लें।
इसी तरह हर बार ऑक्शन की प्रक्रिया भी IPL का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर साल की खिलाड़ी की परफॉर्मेंस के आधार पर अगले साल उसकी कीमत में उतार-चढ़ाव आता है। बढ़ती और घटती कीमतों के आधार पर टीमें उन्हें खरीदती है। यह टीम के मालिक और खिलाड़ी दोनों के लिए ही जरूरी है क्योंकि अगर कोई खिलाड़ी अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा है तो अगली बार टीम को उसे शामिल करना जरूरी नहीं है। इसी तरह खिलाड़ी भी हर साल अपनी कीमत तय करने के लिए आजाद होता है और टीमें अपने बजट के अनुसार उन्हें खरीदती है। साथ ही इस प्रक्रिया से दर्शकों में भी रोमांच बना रहता है।