क्रिकेट

गरीबी और संघर्ष से जूझते हुए इन बेटियों ने बनाई टीम इंडिया में जगह, अब महिला विश्व कप 2025 में मचा रहीं धूम

ICC Women's World Cup 2025 में धूम मचा रही कुछ बेटियां ऐसी भी हैं, जो गरीबी और संघर्षों के बाद यहां तक पहुंची हैं। इनमें भारत की युवा खिलाड़ी क्रांति गौड़ और अमनजोत के साथ बांग्‍लादेश की पेसर मारूफ अख्‍तर शामिल हैं।

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Oct 07, 2025
भारतीय युवा खिलाड़ी क्रांति गौड़। (फोटो सोर्स: IANS)

ICC Women's World Cup 2025: भारत और श्रीलंका की मेजबानी में खेला जा रहा आईसीसी महिला वनडे क्रिकेट विश्व कप सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं है बल्कि ये एक ऐसा मंच भी है, जहां दुनियाभर की क्रिकेटर अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। इनमें से कई खिलाड़ी ऐसी भी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में गरीबी, तंगहाली और कड़ा संघर्ष झेला, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने जोश व जज्बे से वे इस मुकाम तक पहुंच सकीं, जहां आज दुनिया उन्हें पहचानती है। भारत की युवा खिलाड़ी क्रांति गौड़ और अमनजोत के साथ बांग्‍लादेश की युवा खिलाड़ी मारूफ अख्‍तर ऐसी ही खिलाड़ी हैं, जो फर्श से अर्श तक पहुंची हैं।

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पिता स्कूटर पर अभ्यास कराने ले जाते थे

मीडियम पेसर ऑलराउंडर अमनजोत आज भारतीय महिला टीम की अहम सदस्य बन गई हैं। मोहाली की रहने वाली अमनजोत जहां रहती हैं, वहां की गलियां भले ही संकरी हों, लेकिन वो उनके सपनों में रुकावट नहीं बन सकीं। अमनजोत के पिता भूपिंदर सिंह एक बढ़ई हैं और उन्हें क्रिकेटर बनाने में उनकी अहम भूमिका है। पूरे दिन काम करने के बाद वे शाम को स्कूटर पर अमनजोत को अभ्यास कराने के लिए एकेडमी ले जाते थे।

भरोसा था, बेटी देश के लिए खेलेगी

भूपिंदर की आर्थिक स्थिति नहीं थी, लेकिन उन्होंने अमनजोत को हर संभव सुविधा दी। उन्हें पूरा भरोसा था कि उनकी बेटी एक दिन देश के लिए जरूर खेलेगी। अमनजोत ने भी अपने पिता के सपने को पूरा किया। बता दें कि अमनजोत ने 19 जनवरी 2023 को टी-20 और 16 जुलाई 2023 को अंतरराष्ट्रीय वनडे क्रिकेट में डेब्‍यू किया था। वह अब तक 10 वनडे में 155 रन के साथ 14 विकेट ले चुकी हैं।

क्रांति गौड को मां ने दिहाड़ी मजदूरी करके पाला

बुंदेलखंड के एक छोटे से कस्बे घुवारा की रहने वाली क्रांति भारतीय टीम की नई पेस सनसनी हैं। उनके पिता पुलिस में कांस्टेबल थे, लेकिन जब वे छोटी थीं, तब किसी कारणवश उनकी नौकरी चली गई। परिवार को चलाने के लिए उनकी मां दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना पड़ा। क्रांति जहां से आती हैं, वहां लड़कियों का क्रिकेट खेलना असामान्य बात है। ऐसे में क्रांति ने जब शुरुआत में लडक़ों के साथ अभ्यास करना शुरू किया तो उनका मजाक उड़ाया जाता था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि उनके परिवार ने उनका साथ दिया।

पहनने के लिए जूते नहीं थे

गरीबी में पली क्रांति के पास एक समय क्रिकेट खेलने के लिए अच्छे जूते भी नहीं थे। लडक़ों को क्रिकेट खेलते हुए देश क्रांति ने इस खेल को अपनाया। एक स्थानीय मैच के दौरान जिले के एक अधिकारी ने उनकी गति देखी और उन्हें छतरपुर में प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया। यह पहली बार था जब उनके पास न सिर्फ अच्छे जूते थे बल्कि अच्छी किट भी थी। क्रांति ने 11 मई 2025 को कोलंबो में श्रीलंका के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय डेब्‍यू किया। वह अब तक 9 वनडे में 18 विकेट चटका चुकी हैं।

बांग्लादेश की युवा पेसर मारूफ अख्तर भी एक गरीब परिवार से

बांग्लादेश की युवा पेसर मारूफ अख्तर एक गरीब परिवार से हैं। उनके पिता खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। कोरोना महामारी के दौरान परिवार की मदद के लिए मारूफ पिता के साथ खेतों में काम करती थीं। इसके बाद वे शाम को टेप लगी गेंद से अभ्यास करती थीं।

इस तरह मिला बड़ा मौका

ढाका में मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के ट्रायल में युवा प्रतिभा की खोज चल रही थी। मारूफ ने भी वहां ट्रायल दिया। उनकी गति और लाइन-लेंथ देखकर उन्हें अंडर-18 प्रशिक्षण शिविर के लिए चुना गया। मारूफ ने 11 दिसंबर 2022 को वेलिंगटन में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे कॅरियर का आगाज किया था। अब तक वह 27 वनडे मैचों में 22 विकेट अपने नाम कर चुकी हैं।

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