डूंगरपुर

Rajasthan Govt School: करोड़ों खर्च के बावजूद सरकारी स्कूलों में घटा नामांकन, जानें इसके पीछे की 6 बड़ी वजह

Rajasthan government school: राजस्थान के राजकीय विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद नामांकन घट रहा है।

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पत्रिका फाइल फोटो

डूंगरपुर। राजस्थान के राजकीय विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद नामांकन घट रहा है। हालात ये है कि सरकारी विद्यालयों में 4 वर्ष के दौरान 98 लाख 96 हजार 349 से सीधे 77 लाख 77 हजार 485 पर पहुंच गया है।

चार वर्ष में राजकीय विद्यालयों से 21 लाख 18 हजार 865 बच्चों ने मुंह फेर लिया, जबकि, शिक्षा विभाग हर साल 10 फीसदी नामांकन बढ़ाने के ढोल बजवाता है।

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पद नहीं भर रहे

राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ऋऋषिन चौबीसा ने कहा कि सरकारी स्कूलों में गैर शैक्षणिक कार्य एवं ऑनलाइन कार्य की अधिकता है। विद्यालयों तो हर साल नए खुल रहे हैं तथा सैकड़ों क्रमोन्नत हो रहे हैं, लेकिन उस हिसाब से सरकारी स्कूलों में पद नहीं भर रहे हैं। पद रिक्त होने तथा शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यों में लगाए रखने से नामांकन प्रभावित हो रहा है।

प्राइमरी सेटअप में अधिक गिरा नामांकन

प्राइमरी सेटअप में नामांकन अधिक कम हुआ है। शाला दर्पण पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षा 1 से 5 में 1 लाख 40 हजार 46 बच्चे एवं कक्षा 6 से 8 में 82 हजार 3 बच्चे कम हुए हैं। शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षा 3 में सबसे कम प्रवेश हुए। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कक्षा 3 में 1 लाख 20 हजार 257 कम विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। वहीं, कक्षा दो में 9 लाख 7 हजार 789 कक्षा चार में 64 हजार 46, कक्षा 6 में एक लाख 5 हजार 615. कक्षा 7 में 17 हजार 822 एवं कक्षा 10 में 3358 विद्यार्थियों की कमी हुई है।

अंग्रेजी स्कूलों से भी मोहभंग

गत प्रदेश सरकार के कार्यकाल में राजकीय हिन्दी माध्यम विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किया गया। शुरुआत में अभिभावकों ने भी रुचि दिखाई और बच्चों को निजी स्कूलों से निकाल कर महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में प्रवेश दिलाया। पर, भौतिक सुविधाओं के अभाव एवं शिक्षकों की कमी से चलते अंग्रेजी स्कूलों से भी अभिभावकों का मोहभंग हुआ है।

ये हैं प्रमुख कारण

1. प्राइमरी सेटअप में एक शिक्षक पर 5 कक्षाओं का भार
2. छात्रवृत्ति योजनाओं का समय पर भुगतान नहीं
3. गैर शैक्षणिक कार्यों से अध्यापन कार्य बाधित
4. निजी विद्यालयों की तुलना में अधिक अवकाश
5. ड्रॉपआउट रोकने के लिए प्रभावी निगरानी नहीं
6. सरकारी स्कूलों में व्यवहारिक और डिजिटल शिक्षा में कमी

इनका कहना है

कोविड काल में नामांकन ज्यादा बढ़ा था। इस वजह से यह अंतर अधिक नजर आ रहा है। गत शैक्षिक सत्र की तुलना में इस सत्र में नामांकन बढ़ा है और आने वाले वर्ष में नामांकन बढ़ोतरी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
-आरएल डामोर, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, डूंगरपुर

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