डूंगरपुर

Dungarpur News : संत मावजी महाराज की 300 वर्ष पहले की गई कई भविष्यवाणियां आज सच साबित हुई, जानकर हो जाएंगे हैरान

Dungarpur News : संत मावजी महाराज ने करीब 300 वर्ष पहले कई भविष्यवाणियां कर दी थी, जो आज सच साबित हो रही है। यह उनके चौपड़ों में देखी जा सकती है। संत मावजी महाराज ने बेणेश्वर धाम को तपोस्थली बनाया है। भविष्यवाणियां जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे।

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Dungarpur News : विज्ञान के बूते भले आज हम अंतरिक्ष का सफर एवं एआई के दौर में जीवन बसर कर रहे हो। लेकिन, इसकी परिकल्पना 300 साल पहले ही हमारे ऋषि-मुनियों एवं संतों ने दिव्य शक्तियों से कर दी थी। इसकी बानगी संत मावजी महाराज के चौपड़ों में देखी जा सकती है। उन्होंने करीब तीन सौ वर्ष पहले ही कई भविष्यवाणियां कर दी थी, जो आज सच साबित हो रही है। बेणेश्वर धाम को तपोस्थली बनाने वाले संत मावजी महाराज ने कपड़े पर उपग्रह और वायुयान के चित्र उत्केरित कर दिए थे, जो वर्तमान में निर्मित उपकरणों से हूबहू मिलते हैं। संत मावजी ने पांच चौपड़े लिखे थे, जो आज भी मौजूद हैं। इन चौपड़ों में भविष्यवाणियों के साथ साथ विज्ञान, ज्योतिष, साहित्य, संगीत के साथ अर्थव्यवस्थाओं के बारे में सटीक जानकारियां हैं। इसके बावजूद सरकार स्तर पर मावजी महाराज की इन आगम वाणियों के प्रचार-प्रसार को लेकर कोई विशेष पहल नहीं कर पा रही हैं। साथ ही राष्ट्रीय धरोहर इन चौपड़ों के डिजिटलाइजेशन में भी महज हवाई दावे ही किए जा रहे है।

यह हैं मावजी महाराज की भविष्यवाणियां

1- डोरिये दीवा बरेंगा : तारों से रोशनी होगी। इस भविष्यवाणी को बिजली के तारों से जोड़ कर देखा जा सकता है।
2- परिए पाणी वेसायगा : बोतलों में पानी बिकेगा। वर्तमान समय में पैक बोतलों में तय दामों पर पानी की बिक्री हो रही है।
3- वायरे वात होवेगा : हवा में बात होगी। वर्तमान समय में हम चलते-फिरते मोबाइल पर बात कर रहे हैं।
4- धरती तो तांबा वरणी होसी : धरती तपकर तांबे के रंग की होगी। अर्थात मौसम चक्र में परिवर्तन की स्थितियां वर्तमान में देखी जा सकती है।
5- बाघ सारी जोड़े बंधासी : राजा प्रजा का भेद मिटेगा। लोकतंत्र में मतदाताओं की बढ़ती ताकत को इंगित किया है।
6- समुंदर ने तीरे कर्षण कमासी : समुन्द्र के किनारे किसान कमाएंगे। कई किसानों ने खेती में बदलाव कर समुंद्र के किनारे कई बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की है।
7- भेंत में भभुका फूटेगा : दीवारों में पानी आएगा। आजकल हर घर में नल से पाइप लाइन से पानी मिल रहा है।
8- पाणी रे मई थकी लाय उपजसी : पानी के अंदर से आग निकलेगी। ज्वलनशील पदार्थ अर्थात पेट्रोल-डीजल आदि गैसें निकल रही है और पानी की कमी को भी इंगित कर रहा है।

यह हैं मावजी महाराज की भविष्यवाणियां

संत मावजी महाराज का परिचय

वागड क्षेत्र की पवित्र एवं पुण्य धरा साबला धर्म नगरी में संवत 1771 माघ सुदी पंचमीं 28 जनवरी 1715 ई में भगवान श्रीकृष्ण के अंशवतारी के रूप में मावजी महाराज का जन्म हुआ था। दालम ऋषि व केसर बां के कोख से अवतरण मावजी बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक थे। वे सोम-माही के संगम स्थल बेणके (बेणेश्वर) में जाकर चिन्तन और साधना करते रहते थे। संत मावजी ने अपनी तपोभूमि बेणेश्वरधाम पर रास लीलाएं की। वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त, भविष्य वक्ता, ज्योतिषाचार्य व साहित्यकार व खगोलविद थे। 31 वर्ष के अल्पकाल जीवनकाल में उन्होंने पांच चौपड़े लिखे थे।

एक चौपड़े को अंग्रेज ले गए साथ

मावजी रचित सामसागर, प्रेम सागर, रतन सागर, अनन्त सागर व मेघ सागर साबला, पूंजपुर, शेषपुर झल्लारा व बांसवाड़ा में अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षित हैं। भक्तों के मुताबिक पांचवां अनन्त सागर चौपड़ा ब्रिटिश काल के समय अंग्रेज अपने साथ ले गए। बताया जा रहा कि इस चौपड़े में विज्ञान की अद्भुत भविष्यवाणियां हैं।

दोहों से की घोषणाएं

मावजी महाराज ने लगभग 300 वर्ष पूर्व विभिन्न गीत व दोहे के माध्यम से भविष्यवाणियां की थी, उन्हें आगमवाणी कहा जाता है। मावजी महाराज के अनुयायी विशेष रूप से साद समाज के लोग आज भी उनकी आगमवाणी को भजनों के रूप में गाते हैं। शेषपुर के हरिमंदिर में सुरक्षित रखे गए वस्त्र-पट-चित्र (कपड़े पर रंगों से बने चित्र) पर बने हुए उपग्रह एवं हवाई जहाज के चित्र की आकृतियां तथा इस चित्र के नीचे लिखी इबारत ‘विज्ञान शास्त्र वधी ने आकाश लागेंगा उपग्रह वास करें’ विचार करने को मजबूर करती है। गोपियों से संवाद के दौरान दोहों में 108 प्रश्नोतरी के माध्यम से विभिन्न भविष्यवाणियों के संकेत दिए गए हैं।

फोटोग्राफी तक सीमित काम

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की ओर से करीब तीन साल पहले चौपड़ों के डिजिटलाइजेंशन का काम शुरू किया था। लेकिन, यह मूर्त रुप नहीं ले पाया। दो चौपड़ों में चित्रांकन की फोटोग्राफी जरूर की गई, लेकिन इन चोपड़ों में समाहित अन्य भाषागत जानकारियां अब भी डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया से दूर है। प्रथम चरण में साबला व शेषपुर स्थित संत मावजी महाराज के चौपड़े का डिजिटलाइजेशन करते हुए इनकी (रेप्लिका) प्रतिकृतियां तैयार करवानी थी।

महंत अच्युतानंद महाराज, हरिमंदिर साबला

इनका कहना है…

मावजी महाराज के चौपड़ों पर अनुसंधान किया जाए, तो विज्ञान को कई नई खोजे भी मिल सकती है। समय-समय पर हमने प्रयास किए हैं और सरकारों ने बात को मानते हुए घोषणाएं भी की है। पर, ये घोषणाएं मूर्तरुप नहीं ले पाई है। पिछली बार केन्द्र सरकार ने विशेष अनुसंधान केन्द्र एवं संग्रहालय बनाने की भी घोषणा की थी। लेकिन, अब तक कुछ नहीं हुआ। सरकार को जल्द ही इस दिशा में सोचना चाहिए।
महंत अच्युतानंद महाराज, हरिमंदिर साबला

Updated on:
06 Feb 2025 11:45 am
Published on:
06 Feb 2025 11:44 am
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