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IIT Delhi research on AI Models: एआई मॉडल्स साइंस में सुपरफास्ट लेकिन रीजनिंग में कमजोर! IIT दिल्ली की स्टडी में हुआ खुलासा

IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने विभिन्न एआई मॉडलों पर कई तर्क-आधारित परीक्षण किए, जिनमें एआई ने विज्ञान से जुड़े प्रश्नों के सही उत्तर तो तेजी से दिए, लेकिन जब सवाल तर्क और मानवीय सोच से जुड़े थे, तो परिणाम उतने प्रभावशाली नहीं रहे।

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Oct 15, 2025
IIT Delhi research on AI Models (Image Source: Gemini AI)

IIT Delhi AI Study: IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने विभिन्न एआई मॉडलों पर कई परीक्षण किए। इस परीक्षण में एआई ने विज्ञान से जुड़े प्रश्नों के सही उत्तर तो तेजी से दिए, लेकिन जब सवाल तर्क और मानवीय सोच से जुड़े थे, तो परिणाम उतने प्रभावशाली नहीं रहे। एआई रीजनिंग के मामले में कमजोर साबित हुआ।

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एआई मॉडल पर स्टडी

आईआईटी दिल्ली और जर्मनी के जेना स्थित फ्रेडरिक शिलर विश्वविद्यालय (एफएसयू) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि प्रमुख कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मॉडल बुनियादी वैज्ञानिक कार्यों में प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन गहन तर्क की बात आने पर वे अभी भी पीछे रह जाते हैं।

कैसे काम करते हैं एआई मॉडल

आईआईटी दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर एनएम अनूप कृष्णन और एफएसयू जेना के प्रोफेसर केविन माइक जाब्लोंका के नेतृत्व में अनुसंधान दल ने मैकबेंच विकसित किया, जो पहला व्यापक बेंचमार्क है, जिसे यह आकलन करने के लिए डिजाइन किया गया है कि वास्तविक दुनिया के रसायन विज्ञान और सामग्री विज्ञान कार्यों पर दृष्टि-भाषा मॉडल कैसे प्रदर्शन करते हैं।

क्या मिला परिणाम

उनके परिणामों ने एक आश्चर्यजनक विरोधाभास दर्शाया, जबकि एआई मॉडल ने प्रयोगशाला उपकरणों की पहचान करने में लगभग दोषरहित प्रदर्शन किया, वे स्थानिक तर्क, क्रॉस-मोडल जानकारी को एकीकृत करने और बहु-चरणीय तार्किक अनुमान लगाने में संघर्ष करते रहे, जो कौशल प्रामाणिक वैज्ञानिक खोज के लिए आवश्यक हैं।

शोधकर्ता ने क्या कहा

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, कृष्णन ने कहा, "हमारे निष्कर्ष वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण वास्तविकता जाँच का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालाँकि ये एआई प्रणालियां नियमित डेटा प्रोसेसिंग कार्यों में उल्लेखनीय क्षमताएं दिखाती हैं, फिर भी वे अभी स्वायत्त वैज्ञानिक तर्क के लिए तैयार नहीं हैं।"

आईआईटी दिल्ली के सकॉलर

आईआईटी दिल्ली के पीएचडी स्कॉलर इंद्रजीत मंडल के अनुसार, "हमारा काम विज्ञान में मौजूदा एआई प्रणालियों की क्षमताओं और सीमाओं, दोनों का रोडमैप प्रदान करता है। हालांकि, ये मॉडल नियमित कार्यों के लिए सहायक उपकरण के रूप में आशाजनक हैं, लेकिन जटिल तर्क और सुरक्षा-महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए मानवीय निगरानी अभी भी आवश्यक है।"

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