टाउन से नवां तक प्रस्तावित 110 करोड़ के बाइपास पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सवाल उठने भी लाजमी हैं। इस बाइपास को लेकर लोगों को राहत देने के दावे किए जा रहे हैं।
हनुमानगढ़। टाउन से नवां तक प्रस्तावित 110 करोड़ के बाइपास पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सवाल उठने भी लाजमी हैं। इस बाइपास को लेकर लोगों को राहत देने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन शुरू होने से पहले ही लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है। दरअसल बाइपास शहर से बाहर होना चाहिए, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग ने आबादी क्षेत्र के भीतर से बाइपास निकालने की तैयारी शुरू कर दी है। अब विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। इस बाइपास का निर्माण कोहला से नवां तक किया जाना है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग ने कोहला में मामा भांजा होटल के सामने से 110 फीट चौड़ाई का बाइपास निकालने की तैयार कर ली है। इसके निकलने पर मुख्य मार्ग पर बने गोदाम टूटेंगे, इससे व्यापारियों को लाखों रुपए का नुकसान होगा और मुआवजा कृषि भूमि के आधार पर मिलेगा। वहीं आबादी क्षेत्र के भीतर बाइपास निकलने से रोजाना हादसे होंगे। स्थानीय लोगों की माने तो यह बाइपास कोहला इंटरचेंज के पास निकालने पर लोगों को राहत मिलेगी और लाभ मिलेगा।
11 चकों को जोड़ते हुए शहर से 13.65 किमी का नया बाइपास निकलेगा। इस बाइपास की चौड़ाई तीस मीटर होगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी भूमि अधिग्रहण करेगी। इस पर करीब 90 करोड़ रुपए के खर्च का आंकलन किया गया है। बाइपास व भूमि अधिग्रहण को लेकर एसडीएम की अध्यक्षता में जनसुनवाई भी हो चुकी है। करीब सौ फीट चौड़ाई वाले बाइपास पर डामर व एक आरओबी के निर्माण पर 110 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
डामर की चौड़ाई दस मीटर होगी। वर्तमान में जयपुर की कंपनी की ओर से नए बाइपास को लेकर डीपीआर तैयार की जा रही है। कोहला से नवां तक बाइपास की दूरी महज 13.65 किमी होगी। डीपीआर के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग संबंधित कंपनी को 79 लाख का भुगतान करेगा। नया बाइपास कोहला के 14 एचएमएच, 16 एचएमएच, 12 एचएमएच, 10 एचएमएच, 11 एचएमएच, 13 एचएमएच, 15 एचएमएच, 40 एनजीसी, 41 एनजीसी, 2 एसटीडी व 3 एसटीडी तक जाएगा। बाइपास गाहड़ू, बूडसिंहवाला से आगे जाकर नवां तक निकलेगा।
प्रस्तावित बाइपास पर आपत्ति जताते हुए कई जनों ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर निजी स्वार्थ का आरोप लगाया है। इनका आरोप है कि चहेतों को लाभ देने के लिए यह बाइपास घनी आबादी क्षेत्र से निकाला जा रहा है। जबकि इस बाइपास का औचित्य इंटरचेंज के पास ही निकलने पर ही पूरा होगा।
इंटरचेंज से पांच सौ मीटर पहले सरकारी रास्ते से निकालने पर लोगों को राहत मिलेगी, शहर में ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा। ग्रामीणों का तर्क है कि 16 एल एम एच प.नं. 139/285 पर प्रस्तावित ट्रैक पर वर्तमान 16.5 फुट का रास्ता है जो कि छोटा है तथा आबादी क्षेत्र में होने से दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहेगी। इससे आगे चक नं 14 एल एम एच प.नं. 138/287 का ट्रैक 24.9 फीट का है। इस पर सड़क बनाई जाने से लाभ होगा।
जिला कलक्टर को अवगत करवाया कि चक 16 एल एम एच प.नं. 139/285 पर प्रस्तावित ट्रैक पर रोड निर्माण के लिए कारस्तकारी व मुआवजा राशि अधिक देनी पड़ेगी। जिससे सरकार को आर्थिक हानि होगी। जबकि चक नं 14 एल एम एच प.नं. 138/287 का ट्रैक राज्यस्तरीय रिकॉर्ड में गैरमुमकिन रास्ता है। पूर्व में ही दर्ज है इस पर सड़क का निर्माण होने से सरकार को आर्थिक हानि नहीं उठानी पड़ेगी। वहीं चक नं 16 एल एम एच प.नं. 139/285 पर प्रस्तावित ट्रैक बनने से रिंग रोड का इंडस्ट्रीयल एरिया बिल्कुल से जुड़ाव नहीं होगा जबकि चक नं 14 एल एम एच प.नं. 138/287 का ट्रैक बनने से उक्त एरिया के नजदीक होगा और वाहनों को अत्यधिक सुविधा होगी। भविष्य में रोजगार के अत्यधिक अवसर बनेंगे।
बाइपास आने वाली तीस सालों की आबादी को देखते हुए सोच समझकर निकालना चाहिए। लेकिन अधिकारियों ने आबादी क्षेत्र में ही निकाल दिया। इस बाइपास से व्यापारियों को लाखों रुपए का नुकसान होगा और रोजाना दुर्घटनाएं होंगी। इसमें बदलाव किया जाना चाहिए।
इंद्रजीत शर्मा, पूर्व सरपंच, हनुमानगढ़।
जिस चक से बाइपास से निकाला जा रहा है, उच्च अधिकारियों को वहां जाकर देखना चाहिए। घनी आबादी क्षेत्र से बाइपास निकालकर राजस्व का नुकसान होगा, लोगों के लिए सिरदर्द बनेगा और कुछ नहीं। भविष्य की समस्या को देखते हुए बनाया जा रहा है न की नई समस्या उत्पन्न करने के लिए।
सतपाल, व्यापारी, कोहला।
प्रस्तावित बाइपास को लेकर विधायक गणेशराज बंसल से मिले थे। उन्हें इस बाइपास से होने वाले नुकसान से अवगत करवाया है। इस पर विधायक ने बाइपास की जगह बदलने का आश्वासन दिया है। यह बाइपास भारत माला इंटरचेंज से पहले निकलना चाहिए।
नोमेश गर्ग, व्यापारी नेता, कोहला।
मामा भांजा होटल के सामने मंजूर शुदा खाला है और सड़क की चौड़ाई महज 15 फीट है। व्यापारियों ने दोनों तरह गोदाम का निर्माण किया हुआ है और इसी मार्ग पर आगे जाकर ग्रामीणों की कई ढाणियां हैं, उक्त सभी बाइपास के लपेटे में आएंगी। इससे लाखों रुपए का नुकसान होगा और आबादी क्षेत्र में बाइपास निकलने से नया सिरदर्द बनेगा।