स्वास्थ्य

Post Diwali air Pollution : दिवाली के बाद जहरीली हवा से कैसे बचें? अपनाएं ये आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

Post Diwali air Pollution : दिवाली के बाद बढ़ते प्रदूषण से कैसे बचें? जानिए 5 आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक उपाय जो आपकी सांसों को राहत देंगे और फेफड़ों की रक्षा करेंगे।

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Oct 20, 2025
दिवाली के बाद प्रदूषण से बचने के 5 आयुर्वेदिक उपाय – Clean Air Tips India (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Post Diwali air Pollution : दीये और रोशनी का पर्व दिवाली जब अपने साथ खुशियां लेकर आता है, तो हम सब उत्साह में डूब जाते हैं। लेकिन इस जगमगाती रात के बाद अगली सुबह का सच अक्सर कड़वा होता है। त्योहार खत्म, प्रदूषण शुरू! 20 अक्टूबर 2025 की सुबह, दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई शहरों में लोगों ने यही महसूस किया। हवा इतनी जहरीली हो गई कि आंकड़े डरावने थे। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 से 500 के बीच झूल रहा था, जिसे गंभीर श्रेणी कहा जाता है। यह वह स्तर है जहाँ हर साँस के साथ हम ज़हर अंदर ले रहे होते हैं।

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पटाखों का धुआं, सेहत पर वार: क्यों बढ़ रही है घुटन?

पटाखों का शोर भले ही थम गया हो, लेकिन उनका धुआं हवा में एक विषाक्त चादर की तरह फैल जाता है। इस धुएं में PM 2.5 और PM 10 जैसे बारीक कण होते हैं जो हमारे फेफड़ों की सबसे गहराई तक पहुँच जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, PM 2.5 का सुरक्षित स्तर 25 माइक्रोग्राम/मी$^3$ होना चाहिए, लेकिन त्योहार के बाद यह कई गुना बढ़ जाता है। कुछ इलाकों में तो 350 माइक्रोग्राम/मी$^3$ से भी ज़्यादा।

इसी वजह से, दिवाली के तुरंत बाद अस्पतालों में मरीजों की लाइन लग जाती है। खाँसी, साँस लेने में तकलीफ, अस्थमा के अटैक और आंखों में तेज जलन आम शिकायतें होती हैं। यह प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो किसी छुपे हुए ख़तरे से कम नहीं है, क्योंकि उनका श्वसन तंत्र सबसे नाज़ुक होता है।

आयुर्वेद का सुझाव: जहर नहीं, प्राणवायु को बचाओ

आयुर्वेद इस स्थिति को 'दूषित वायु से उत्पन्न विकार' कहता है। जब हमारी प्राणवायु (जीवनदायिनी हवा) अशुद्ध हो जाती है, तो शरीर में 'आम' यानी टॉक्सिन बढ़ने लगते हैं।

नस्य कर्म को बनाएं अपनी ढाल: दिवाली के बाद यह सबसे असरदार उपाय है। सुबह-शाम नाक में तिल के तेल या देसी घी की दो-दो बूंदें डालना—यह न केवल नाक की श्लेष्म परत को प्रदूषण से बचाता है, बल्कि श्वसन मार्ग को नम रखकर धूल के कणों को फेफड़ों तक जाने से रोकता है।

काढ़े से कफ को कहें अलविदा: अदरक, तुलसी और काली मिर्च का गर्म काढ़ा पीने से गले और छाती में जमा कफ आसानी से टूट जाता है। इसके अलावा, हल्दी वाला दूध, मुलेठी चूर्ण या गुड़ और काली मिर्च का सेवन भी श्वसन तंत्र को फ़ायदा पहुंचाता है।

दैनिक जीवन के 5 आसान और जरूरी कदम

प्रदूषण से लड़ना सिर्फ सरकार या त्योहारों के नियमों तक सीमित नहीं है, यह हमारी दैनिक आदत होनी चाहिए।

मास्क है जरूरी सुरक्षा कवच: सुबह की सैर पर जाते समय N-95 या N-99 मास्क पहनना अनिवार्य है। ये मास्क PM 2.5 जैसे छोटे कणों को भी फिल्टर कर सकते हैं। साधारण कपड़े का मास्क इतना कारगर नहीं होता।

हल्का भोजन, स्वस्थ शरीर: त्योहार पर हुए भारी, तैलीय और मीठे भोजन से शरीर थक जाता है। इस दौरान मूंग दाल खिचड़ी, लौकी का सूप या सादा सुपाच्य आहार लें। यह आपकी पाचन अग्नि को संतुलित रखेगा, जो शरीर को अंदर से साफ करने में मदद करता है।

गर्म पानी का धीमा सेवन: दिन भर गुनगुना पानी घूंट-घूंट करके पीते रहें। आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर में जमा विषैले तत्वों (टॉक्सिन) को बाहर निकालने का सबसे सरल तरीका है।

अच्छी नींद है दवा: दिवाली के बाद शरीर को भरपूर आराम दें। देर रात तक जागने की आदत बदलें। 7-8 घंटे की गहरी नींद सिर्फ थकान नहीं मिटाती, बल्कि फेफड़ों की कोशिकाओं को प्रदूषण से होने वाले नुकसान से उबरने का समय देती है।

घर में रखें हवा साफ: घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें या फिर तुलसी, स्नेक प्लांट (Snake Plant) और एरिका पाम (Areca Palm) जैसे पौधे लगाएँ। ये प्राकृतिक रूप से हवा को शुद्ध करते हैं।

दिवाली के बाद के प्रदूषण में स्ट्रॉ बर्निंग (पराली जलाना) भी एक बड़ा कारण है। पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली का धुआं, हवा के पैटर्न के साथ मिलकर दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचता है, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है। इस पर रोक लगाना और व्यक्तिगत स्तर पर सावधानी बरतना ही एकमात्र समाधान है।

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