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Air Pollution का नया खतरा, पुरुषों और महिलाओं में घटा रहा है Fertility Rate

Air Pollution Cause Infertility : डॉक्टरों के अनुसार, हवा में मौजूद जहरीले कण फेफड़ों के साथ-साथ प्रजनन स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे IVF सफलता दर घट रही है।

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भारत

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Manoj Vashisth

Oct 20, 2025

Air Pollution Cause Infertility

Air Pollution Cause Infertility : भारत में प्रदूषण प्रजनन दर को कैसे प्रभावित कर रहा है? (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Air Pollution Cause Infertility : आज देश के लगभग हर बड़े शहर में प्रदूषण एक अदृश्य दुश्मन की तरह हमारी सांसों में घुल रहा है। हमें लगता है कि यह सिर्फ हमारे फेफड़ों और हार्ट को नुकसान पहुंचा रहा है, लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा भयावह है। विशेषज्ञों का मानना है कि हवा में बढ़ता जहर अब चुपके से लाखों लोगों से उनके संतान सुख का अधिकार छीन रहा है। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट का रूप ले रहा है।

बांझपन का नया और घातक कारण: वायु प्रदूषण | Cause of Infertility

कई सालों से बांझपन (Infertility) के पीछे उम्र, तनाव या लाइफस्टाइल को ही मुख्य वजह माना जाता रहा है, लेकिन अब रिसर्च ने एक और खतरनाक कारण की ओर इशारा किया है: हवा में मौजूद बारीक जहरीले कण।

गुरुग्राम के CIFAR में IVF विशेषज्ञ, डॉ. पुनीत राणा अरोड़ा बताते हैं कि हवा में मौजूद PM2.5 (सूक्ष्म कण), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और भारी धातुएं (Heavy Metals) पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता (Fertility) को कम कर रही हैं। ये प्रदूषक शरीर के हार्मोन संतुलन को बिगाड़ते हैं और प्रजनन कोशिकाओं (Gamete Quality) की गुणवत्ता पर सीधा हमला करते हैं।

पुरुषों के लिए खतरा | Air Pollution Effects on Men

पुरुषों में लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कई गंभीर समस्याएं सामने आ रही हैं:

कम स्पर्म काउंट: जहरीले रसायन और एंडोक्राइन-डिसरप्टिंग केमिकल्स (जो प्राकृतिक हार्मोन की नकल करते हैं) स्पर्म के उत्पादन को कम कर देते हैं।

गतिशीलता में कमी: प्रदूषण के कारण स्पर्म की गतिशीलता (Motility) घट जाती है, जिससे अंडे तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

DNA डैमेज: PM2.5 जैसे कण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) पैदा करते हैं, जो स्पर्म के DNA को खंडित कर देता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

महिलाओं के लिए बड़ा संकट | Air Pollution Effects on Women

महिलाओं में प्रदूषण के प्रभाव और भी जटिल और खतरनाक हैं:

पीरियड्स और ओव्यूलेशन में रुकावट: ये प्रदूषक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन को प्रभावित करते हैं, जिससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है और ओव्यूलेशन (अंडा निकलने की प्रक्रिया) बाधित हो जाती है।

गर्भाशय की तैयारी: प्रदूषण गर्भाशय की आंतरिक परत (Endometrial Receptivity) को नुकसान पहुंचाता है, जिससे भ्रूण का आरोपण (Implantation) सफल नहीं हो पाता।

IVF की विफलता: जो कपल्स इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) का सहारा लेते हैं, उनमें भी उच्च प्रदूषण के संपर्क से सफलता दर (Live Birth Rates) बहुत कम हो जाती है। अध्ययनों में देखा गया है कि अंडे निकालने (Egg Retrieval) से तीन महीने पहले भी PM2.5 का ज़्यादा संपर्क सफलता की संभावना को 40% तक घटा सकता है।

नए और खतरनाक खुलासे

वायु प्रदूषण के इस खतरे को और भी गंभीरता से समझने के लिए कुछ हालिया रिसर्च चौंकाने वाली जानकारियां दे रहे हैं:

1. प्रदूषण और PCOS का गहरा संबंध

    भारत में, खासकर दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में, महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। विशेषज्ञ अब इस बढ़ते हुए विकार को वायु गुणवत्ता से जोड़कर देख रहे हैं क्योंकि प्रदूषण हार्मोनल असंतुलन को ट्रिगर करने का काम करता है।

    2. भ्रूण तक पहुंच रहा है जहर

      सबसे डराने वाला खुलासा यह है कि हवा में मौजूद ब्लैक कार्बन (जो वाहनों और जलने वाले पदार्थों से निकलता है) के कण गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा (अपरा) को पार करके सीधे भ्रूण तक पहुंच रहे हैं। यह साबित करता है कि प्रदूषण माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी ज़हरीला बना रहा है।

      3. गर्भवती मां और नवजात का जोखिम

        डॉ. अरोड़ा के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान खराब हवा के संपर्क में आने से गर्भपात (Miscarriage) का खतरा बढ़ता है और बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके कारण बच्चे का वजन जन्म के समय कम (Low Birth Weight) होना, समय से पहले जन्म (Prematurity) और बच्चों के विकास में रुकावट जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में यह संबंध ज़्यादा स्पष्ट तौर पर देखा गया है।

        4. शोर भी है बांझपन का कारण

          शोधों में एक और नया पहलू सामने आया है सड़क पर होने वाला तेज ट्रैफिक का शोर (Noise Pollution)। यह विशेष रूप से 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन के खतरे को बढ़ा सकता है। लगातार तेज़ शोर तनाव हार्मोन (कोर्टिसोल) को बढ़ाता है, जिससे प्रजनन हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है।

          आपकी जिम्मेदारी: एक स्वस्थ कल के लिए

          जैसे-जैसे दिवाली का त्योहार नजदीक आ रहा है, प्रदूषण का यह मुद्दा और भी प्रासंगिक हो जाता है। यह त्योहार रौशनी का है, धुएं का नहीं।

          डॉक्टर और पर्यावरण विशेषज्ञ अपील करते हैं कि हमें इस सामूहिक जिम्मेदारी को समझना होगा। अपनी और आने वाली पीढ़ी की सेहत के लिए:

          पटाखों से परहेज़: पटाखों का उपयोग कम करें या पूरी तरह छोड़ दें।

          वाहनों का रखरखाव: अपनी गाड़ियों की नियमित जांच कराएं ताकि उनसे कम प्रदूषण हो।

          मास्क और एयर प्यूरीफायर: AQI (Air Quality Index) खराब होने पर घर से बाहर निकलने से बचें, या मास्क पहनें और घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।