Chronic Disease: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, भारत में कुल बीमारी के बोझ का 56.4% हिस्सा अस्वस्थ खानपान से जुड़ा है। यह आंकड़ा ICMR के 2024 जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
Chronic Disease: ICMR की ताजा रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है भारत में टाइप 2 डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज और कई अन्य क्रॉनिक बीमारियों के 56% केस एक ही सामान्य फैक्टर से जुड़े हुए हैं। लगातार बढ़ती इन बीमारियों के पीछे कौन-सी आदत इतनी ताकतवर है कि देश में आधे से ज्यादा मरीजों को सीधे प्रभावित कर रही है? आइए इस रिपोर्ट से समझते हैं भारत की हेल्थ क्राइसिस की असली वजह।
भारत में तेजी से बढ़ रही दीर्घकालिक बीमारियों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। ICMR की नई रिपोर्ट बताती है कि देश में होने वाली 56% क्रॉनिक बीमारियों की जड़ हमारी बदलती भोजन आदतें हैं। आधुनिक जीवनशैली, कम शारीरिक गतिविधि और बाजार में उपलब्ध आसान, तेजी से खाने योग्य खाद्य पदार्थों ने स्वास्थ्य पर बड़ा असर डाला है।
ICMR का कहना है कि ऐसे भोजन शरीर में चर्बी बढ़ाते हैं, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को असंतुलित करते हैं, और अंततः टाइप-2 डायबिटीज, दिल की बीमारी, हाईपरटेंशन और मोटापे जैसी गंभीर स्थितियों की वजह बनते हैं।
ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के अनुसार, यदि लोग स्वस्थ भोजन और सक्रिय दिनचर्या अपनाएं, तो हार्ट डिजीज और हाई BP के कई मामले रोके जा सकते हैं।सबसे महत्वपूर्ण बात 80% तक टाइप-2 डायबिटीज सिर्फ जीवनशैली सुधारकर टाली जा सकती है।लेकिन समस्या सिर्फ कैलोरी की नहीं है। देश में बड़ी आबादी ऐसे आहार खा रही है जिनमें ऊर्जा तो है, लेकिन विटामिन, मिनरल और आवश्यक पोषक तत्व बहुत कम हैं, जिससे माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनती जा रही है। भारतीय अभी भी चावल-गेहूं जैसे अनाजों पर ज्यादा निर्भर हैं, जिससे प्रोटीन और अच्छे फैट की कमी आम हो गई है।
ICMR की डाइटरी गाइडलाइन्स क्या कहती हैं?
नमक का सेवन कम रखें।
तेल और वसा का सीमित उपयोग करें।
चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स से दूरी रखें.
पैकेज्ड फूड के लेबल पढ़ें।
लंबे समय तक प्रोटीन सप्लिमेंट न लें।
संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम को अपनाएं।
अनाज से अधिकतम 45% कैलोरी, 15% दाल/बीन्स/मांस से, बाकी फल-सब्ज़ियों-दूध-नट्स से लें।
घर में विविधता वाला भोजन शामिल करें।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड चीजें कम खरीदें।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए पौष्टिक भोजन प्राथमिकता बनाएं।
सरकार स्वस्थ खाद्य पदार्थ सस्ते और सुलभ बनाए।