Diabetes Risk: IDF Diabetes Atlas 2025 की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, 2050 तक दुनिया में 85 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित होंगे। भारत दूसरे नंबर पर, बच्चों में भी बढ़ रहा खतरा।
Diabetes Risk: दुनिया में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) की 11वीं रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में करीब 50 करोड़ लोग डायबिटीज के साथ जी रहे थे, लेकिन 2050 तक यह संख्या बढ़कर करीब 90 करोड़ तक पहुंच सकती है। यह आंकड़े 20 से 79 साल की उम्र के लोगों के हैं।
यह जानकारी 2025 में Lancet Diabetes & Endocrinology नाम की जानी-मानी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में सामने आई है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्ययन किया है।
2024 में दुनिया की 11.11% आबादी डायबिटीज से प्रभावित होगी। यानी करीब 58 करोड़ वयस्क इसमें शामिल होंगे। 2050 का अनुमान यह आंकड़ा बढ़कर 12.96% हो जाएगा। यानी 85 करोड़ से ज्यादा लोग इसके शिकार होंगे। रिसर्च की लीड लेखिका इरिनी जेनिट्सारिडी और उनकी टीम का कहना है कि “डायबिटीज की महामारी साल 2000 के बाद से लगातार बढ़ती जा रही है। अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। हर देश और हर आबादी के हिसाब से अलग रणनीति बनानी होगी। इस रिपोर्ट में 210 देशों और 5 क्षेत्रों के आंकड़े शामिल किए गए हैं।
रिपोर्ट बताती है कि डायबिटीज का सीधा कनेक्शन लाइफस्टाइल से है, इसलिए शहर और गांव के आंकड़ों में फर्क दिखता है। 2024 में शहरों में 40 करोड़ लोग डायबिटीज के शिकार थे। गांवों में 18.9 करोड़ लोगों को डायबिटीज था। 2050 में अनुमान शहरों में 65.5 करोड़ लोगों को डायबिटीज होगा। गांवों में करीब 19.8 करोड़ (लगभग स्थिर) इसके शिकार होंगे। यानि आने वाले समय में डायबिटीज का सबसे बड़ा बोझ शहरी इलाकों पर रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार 2024 में मिडिल इनकम देशों में डायबिटीज सबसे ज्यादा थी। उसके बाद हाई इनकम देश शामिल है। सबसे कम मामले लो इनकम देशों में देखा गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 2050 तक डायबिटीज के नए 95% मरीज लो और मिडिल इनकम देशों से होंगे। इसके पीछे कारण तेजी से बढ़ती आबादी, लोगों की उम्र का बढ़ना, तेजी से हो रहा शहरीकरण, गलत खानपान और कम शारीरिक गतिविधि शामिल है।
दुनिया में सबसे ज्यादा डायबिटीज मरीज:
2050 में अनुमान है कि चीन और भारत पहले और दूसरे स्थान पर बने रहेंगे। पाकिस्तान तीसरे नंबर पर पहुंच सकता है।
सबसे चिंता की बात यह है कि अब डायबिटीज सिर्फ बड़ों की बीमारी नहीं रही। आजकल गलत खानपान, मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय, बाहर का जंक फूड और शारीरिक गतिविधि की कमी की वजह से बच्चों में भी मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है। डॉक्टर मनोज जागिंड़ का कहना है कि अगर बचपन से ही संतुलित खाना, रोजाना खेल-कूद, मीठा और जंक फूड कम, मोबाइल से दूरी जैसी आदतें नहीं डाली गईं, तो आने वाले सालों में डायबिटीज बच्चों के लिए भी एक बड़ी बीमारी बन सकती है।